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Tag Archives: ashutosh bhardwaj

हिंदी के वरिष्ठ लेखक सार्वजनिक बयान देने से क्यों बचते-डरते है?

ज्ञानपीठ-गौरव प्रकरण में खूब बहस चली, आज भी चल रही है. आशुतोष भारद्वाज ने उस प्रकरण के बहाने हिंदी लेखक समाज की मानसिकता, उसके बिखराव को समझने का प्रयास किया है. आशुतोष स्वयं कथाकार हैं, अंग्रेजी के पत्रकार हैं, शब्दों की गरिमा को समझते हैं, लेखन को एक पवित्र नैतिक …

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कविता विद्रोही और बागी की अनिवार्य संगिनी रही है

युवा पत्रकार-कथाकार आशुतोष भारद्वाज छत्तीसगढ़ के जंगलों का सच लिख रहे हैं. हाल में ही अबूझमाड़ को लेकर इंडियन एक्सप्रेस में उनकी रपट काफी चर्चा में रही. यहां उनकी डायरी के कुछ अंश- जानकी पुल.  ———————————————– मार्च। कोई कथित नक्सली जब गिरफ्तार होता है, जिसके खिलाफ किसी हिंसा में संलग्नता …

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कोई नहीं लिखता यहां क्या हो रहा है

कथाकार-पत्रकार आशुतोष भारद्वाज छत्तीसगढ़ के नक्सली घोषित इलाकों में घूम-घूम कर बड़ी बारीक टिप्पणियां कर रहे हैं, बड़े वाजिब सवाल उठा रहे हैं. भूलने के विरुद्ध एक जरूरी कार्रवाई- जानकी पुल. ————— नये साल की पहली रात। बस्तर और कश्मीर की भौगोलिक काया और जैविक माया में रोचक साम्य — …

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सुकमा के जंगल में काली धातु चमकती है

प्रसिद्ध पत्रकार आशुतोष भारद्वाज ने 2012 में छत्तीसगढ़ के नक्सली इलाकों में रहते हुए वहां के अनुभवों को डायरी के रूप में लिखा था. सुकमा की नृशंस हत्याओं के बाद उनकी डायरी के इस अंश की याद आई जो नक्सली माने जाने वाले इलाकों की जटिलताओं को लेकर हैं. हालात …

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कहां हो दिल्ली के परमज्ञानी आचार्य?

जशपुर के ठूंठी अम्बा गाँव में एक पिता जिसकी बेटी हाल में ही लौटी  युवा कथाकार-पत्रकार आशुतोष भारद्वाज छत्तीसगढ़ के ग्रामीण-जंगली इलाकों को एक नई नज़र से देख रहे हैं, ऐसी नज़र से जिसमें लोगों को पहचानने के बने-बनाये सांचे नहीं हैं, बल्कि इंसान तक पहुँचने वाली इंसानी समझ है. …

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कोई और न सही, अबूझमाड़ तो साक्षी होगा ही

कथाकार आशुतोष भारद्वाज की नक्सल डायरीविकास और सभ्यता की परिभाषाओं से दूर गाँवो-कस्बों के उन इलाकों के भय-हिंसा से हमें रूबरू कराता है जिसे सरकारी भाषा में नक्सल प्रभावित इलाके कहा जाता है. इस बार अबूझमाड़ – जानकी पुल. पहाड़ और जंगल के बीच अटके किसी कस्बे का बीच सितंबर। — …

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खुमार और खून हमजाद़ हैं यहाँ

युवा कथाकार-पत्रकार आशुतोष भारद्वाज की ‘नक्सल डायरी’ की दूसरी किस्त.  सरगुजा, बीजापुर, बस्तर-दंतेवाड़ा के इलाके अब नक्सल-प्रभावित इलाके कहलाते हैं. इनके घने जंगलों के बीच जो जीवन धडकता है अनिश्चयता के भय और आतंक के साये में वह कितना बदल रहा है. यह आशुतोष की कलम का जादू है- वह …

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बस्तर में एक पूरी प्रजाति का स्नायु-संविधान बदल रहा है

युवा कथाकार आशुतोष भारद्वाजइन दिनों अपने अखबार के असाइनमेंट पर छत्तीसगढ़ के उन इलाकों में रह रहे हैं जिन्हें ‘नक्सल प्रभावित क्षेत्र’ कहा जाता है. खौफ, संशय, हिंसा के साये में जीता वह समाज किस तरह बदल रहा है इसकी कुछ टीपें उन्होंने अपनी डायरी में दर्ज की हैं. नाम …

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आशुतोष भारद्वाज की कहानी ‘मिथ्या’

आज आशुतोष भारद्वाज की कहानी. उनकी कहानी का अलग मिजाज़ है. जीवन की तत्वमीमांसा के रचनाकार हैं वे. वे शब्दों को लिखते नहीं हैं उसे जीते हैं, उनकी कहनियों में जीवन की धड़कनों को सुना जा सकता है. कश्मीर के परिवेश को लेकर एक अलग तरह की कहानी है ‘मिथ्या’, …

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