भारतीय इतिहासकारों ने पोपुलर इतिहास लेखन को हमेशा खारिज किया. अगर काम हिंदी में हुआ हो तो उसे देखने काबिल भी नहीं समझा. सुभाष चन्द्र कुशवाहा की किताब ‘अवध का किसान विद्रोह’ उस विद्रोह को विस्तार से समझाती है जिसके बारे में मॉडर्न इण्डिया की किताबों में पढ़ा था. बाबा …
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