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Tag Archives: banas jan

मुझे लघु पत्रिकाएं और लेखक संगठन जरूरी लगते हैं- पल्लव

आज लघु पत्रिका दिवस है। लघु पत्रिका से ‘बनास जन’ की याद आती है। ‘बनास जन’ से पल्लव की याद आती है। युवा आलोचक पल्लव ने अपने कुशल संपादन और जुनून से ‘बनास जन’ को श्रेष्ठ लघु पत्रिकाओं में एक बना दिया है। पल्लव से उनकी साहित्यिक यात्रा, बनास जन …

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जो विस्मित नहीं हो सकते, वे अधूरे मनुष्य हैं

‘बनास जन’ पत्रिका के नए अंक में कई रचनाएँ पठनीय हैं। आज पढ़िए वरिष्ठ कवि-लेखक कुमार अम्बुज का गद्य, बनास जन से साभार- मॉडरेटर =============================== संसार के आश्चर्य (जो विस्मित नहीं हो सकते, वे अधूरे मनुष्य हैं।)   कुमार अम्बुज    आश्चर्य की पिछली कहानियों में जो बता चुका हूँ, …

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लथपथ सहानुभूति का प्रतिपक्ष:  रवीन्द्र कालिया की कहानियाँ

अभी हाल में ही अपने यादगार विशेषांकों के लिए जानी जाने वाली पत्रिका ‘बनास जन’ का नया अंक आया है प्रसिद्ध लेखक-सम्पादक रवीन्द्र कालिया पर। इस अंक में कालिया जी की कहानियों पर दुर्लभ लेखक हिमांशु पण्ड्या एक पठनीय लेख आया है। आपकी नज़र है- मॉडरेटर ============= ‘चाल’ कहानी में …

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वरिष्ठ कवि ऋतुराज की चीन डायरी

आज हिन्दी दिवस है। सुबह से सोच रहा था कि क्या लगाऊँ। अंत में मुझे लगा कि आज किसी वरिष्ठ लेखक का लिखा पढ़ा-पढ़ाया जाये। ऋतुराज जी की चीन डायरी कल रात ही ‘बनास जन’ में पढ़ी थी। सोचा आप लोगों से भी साझा किया जाये- मॉडरेटर ============== 15 अप्रैल, …

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