काला पहाड़, बाबल तेरा देस में, रेत, नरक मसीहा, हलाला, सुर बंजारन, वंचना, शकुंतिका और अब ख़ानज़ादा। पिछले कुछ वर्षों से अपने उपन्यास लेखन की निरंतरता और विषयों की विविधता के लिए चर्चित कथाकार भगवानदास मोरवाल ने हिंदी में अपनी एक अलग छवि और पहचान बनाई है। इनके बारे में …
Read More »भगवानदास मोरवाल के उपन्यास ‘सुर बंजारन’ का एक अंश
एक समय में इस देश में लगने वाले मेलों की ठाठ नौटंकी के बिना अधूरी रहती थी. नौटंकी को गरीबों का सिनेमा कहा जाता था, जिस में गीत-संगीत के साथ कहानी दिखाई जाती थी. नौटंकी विधा को आधार बनाकर भगवानदास मोरवाल ने ‘सुर बंजारन’ नामक उपन्यास लिखा जो वाणी प्रकाशन …
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