पिछले कुछ महीनों में ‘बिंदिया’ पत्रिका ने अपनी साहित्यिक प्रस्तुतियों से ध्यान खींचा है. जैसे कि नवम्बर अंक में प्रकाशित परिचर्चा जो कुछ समय पहले वरिष्ठ लेखिका मैत्रेयी पुष्पा द्वारा ‘जनसत्ता’ में लिखे गए उस लेख के सन्दर्भ में है जिसमें उन्होंने समकालीन लेखिकाओं के लेखन को लेकर अपनी असहमतियां-आपत्तियां दर्ज की थी. उनके …
Read More »मैत्रेयी खुद रही हैं स्त्री-देह विमर्श की पैरोकार- चित्रा मुद्गल
पिछले कुछ महीनों में ‘बिंदिया’ पत्रिका ने अपनी साहित्यिक प्रस्तुतियों से ध्यान खींचा है. जैसे कि नवम्बर अंक में प्रकाशित परिचर्चा जो कुछ समय पहले वरिष्ठ लेखिका मैत्रेयी पुष्पा द्वारा ‘जनसत्ता’ में लिखे गए उस लेख के सन्दर्भ में है जिसमें उन्होंने समकालीन लेखिकाओं के लेखन को लेकर अपनी असहमतियां-आपत्तियां …
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