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देह का दीपक जला कर एक दूसरे को पढ़ा

प्रयागवासी और मुंबई प्रवासी कवि बोधिसत्व की कविताओं पर अलग से टिप्पणी करने की कोई आवश्यकता मुझे नहीं लगती. पिछले करीब २५ सालों से बोधिसत्व की कविताओं का अपना अलग मुकाम है. हाल में ही उनको फिराक गोरखपुरी सम्मान मिला है. उनको एक बार और बधाई देते हुए उनकी कुछ …

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हर स्थिति और हर काल में और न्यूट्रल था हर हाल में

प्रसिद्ध कवि बोधिसत्व की यह कविता हमारे समाज पर गहरा व्यंग्य करती है. आप भी पढ़िए ‘न्यूट्रल आदमी’, बनिए नहीं- जानकी पुल. ================ न्यूट्रल आदमी वह हिंद केशरी नहीं था वह भारत रत्न नहीं था वह विश्व विजेता नहीं था किंतु सदैव था सर्वत्र था वह और चाहता सब का …

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वह तो सुगंध की तरह थी अनियंत्रित

अपने प्रिय कवि बोधिसत्त्व की एक नई लंबी कविता आपके लिए- जानकी पुल.  ————————————————————————- उसकी हँसी उस पर झुमका चुराने का आरोप थाउसे उसके पति ने दाग कर घर से निकाल दियावह कहाँ गई फिर कुछ पता नहीं चलाबहुत बाद में पता चलाझुमका चुराने का तो बहाना थावह पकड़ी गई थी …

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यह चाँद है या काँच है जो पहर बेपहर चमक रहा है

कुछ साल पहले युवा कवि तुषार धवल का कविता संग्रह राजकमल प्रकाशन से आया था ‘पहर यह बेपहर का’. अपनी भाव-भंगिमा से जिसकी कविताओं ने सहज ही ध्यान खींचा था. उसी संग्रह की कविताओं पर कुछ कवितानुमा लिखा है वरिष्ठ कवि बोधिसत्त्व ने. समीक्षा के शिल्प में नहीं- जानकी पुल.  …

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किसी की आँख में देखना उसके मन में देखना होता है

 अभी थोड़ी देर पहले प्रिय कवि बोधिसत्वने यह कविता पढ़ने के लिए भेजी. गहरे राग भाव से उपजी इस कविता में लोकगीतों सा विराग भी पढ़ा जा सकता है, जो बोधिसत्व की कविताओं की विशेषता रही है. न होने में होने का भाव. आज के दिन मैं इस कविता को …

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