पंकज सुबीर के कहानी संग्रह ‘चौपड़े की चुड़ैलें’ की कहानियों की पंकज कौरव ने बड़ी अच्छी समीक्षा की है. कई जरूरी मुद्दे उठाये हैं- मॉडरेटर ======================== वैचारिकी रचनाओं की नींव भर होती है. बड़े-बड़े बेमेल पत्थर भी नींव में ऐसे समा जाते हैं कि उनमें एकरूपता का अभाव पता ही नहीं चलता. …
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