कृष्णा सोबती के उपन्यासों में दिलो-दानिश का अपना मुकाम है. पुरानी दिल्ली की मिली जुली संस्कृति पर ऐसा उपन्यास मेरे जानते कोई और उपन्यास नहीं है. उनके अनेक उपन्यासों की तरह यह उपन्यास भी अपने परिवेश और किरदार के लिए याद रह जाता है. उसी का एक अंश- मॉडरेटर ============== …
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