प्रत्यक्षा के उपन्यास ‘बारिशगर’ में किसी पहाड़ी क़स्बे सी शांति है तो पहाड़ी जैसी बेचैनी भी। इस उपन्यास की विस्तृत समीक्षा की है राजीव कुमार ने- =================== प्रत्यक्षा का उपन्यास “बारिशगर” वैयक्तिक संबंधों के उलझे हुए अनुभव जगत का आख्यान है। विभिन्न कथा युक्तियों द्वारा उपन्यास की कहानी में ऐसे …
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