इन दिनों एक ओर हिंदी के हार्ट लैंड दिल्ली में जश्न-ए-रेख़्ता यानी उर्दू का फेस्टीवल चल रहा है। दूसरी ओर मुम्बई में एक यंग सा लड़का ‘हुसैन हैदरी’ अपने आप को हिंदुस्तानी मुसलमां होने की बात कहता है। सवाल ये है कि क्या हिंदुस्तानी मुस्लमां जैसी कोई चीज़ होती है? …
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