युवा शोधकर्ता आशीष कुमार ने एक अच्छा लेख लिखा है जिसमें उन्होंने यह देखने की कोशिश की है कि हाल की फ़िल्मों में हाशिए के जीवन का चित्रण किस तरह किया गया है। पढ़ने लायक़ लेख है- ================================ मुक्ति कृपा से प्राप्त वस्तु नहीं है। वह यथास्थिति को तोड़ती है। …
Read More »‘तमाशा’ प्रेम की कहानी है या रोमांस की
तीन साल पहले आज के ही दिन इम्तियाज़ अली की फिल्म ‘तमाशा’ पर युवा लेखिका सुदीप्ति ने यह लेख लिखा था. तमाशा इम्तियाज़ की शायद सर्वश्रेष्ठ फिल्म है. प्यार और रोमांस के दर्शन की ओर ले जाने वाली फिल्म. खैर, कुछ दिन पहले इम्तियाज़ ने भी इस रिव्यू को पढ़कर …
Read More »मैं वेद प्रकाश शर्मा बनना चाहता था!
साल 1994 का था। इम्तियाज़ को मुम्बई गए एक साल हो गया था। एक दिन महाशय(राकेश रंजन कुमार) मेरे पास आया और बोला मैं मुम्बई जा रहा हूँ। वह चला गया। मैं अकेला रह गया। बीच बीच में कभी वह किसी धारावाहिक में दिख जाता था, कभी यह पता चलता …
Read More »सच में झूठ को मिलाता चलता हूँ
‘रॉकस्टार’ फिल्म ने एक बार फिर इम्तियाज़ अली को एक ऐसे लेखक-निर्देशक के रूप में स्थापित कर दिया है जिसने हिन्दी सिनेमा को नया मुहावरा दिया, प्रेम का एक ऐसा मुहावरा जिसमें आज की पीढ़ी की बेचैनी छिपी है, टूटते-बनते सपनों का इंद्रधनुष है, सबसे बढ़कर आत्मविष्वास है जिससे उनकी …
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