हाल के दिनों में आभासी दुनिया में सबसे लम्बी बहस जो चली वह कवि कमलेश के उस बातचीत को लेकर चली जो ‘समास’ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी. उसी बातचीत के आधार पर उनको साहित्य में दाखिल-ख़ारिज किया जाता रहा, लेकिन उनकी कविताओं को लेकर कोई बहस नहीं हुई. मुझे …
Read More »संवेदना के दर्पण में नॉयपाल
हाल में ही पेंगुइन बुक्स और यात्रा बुक्स ने हिंदी में प्रसिद्ध लेखक वी.एस.नायपॉल की कई पुस्तकों के अनुवाद प्रकाशित किए हैं. कल के ‘जनसत्ता’ में हिंदी के प्रसिद्ध कवि कमलेश ने नायपॉल की पुस्तक ‘द मास्क आफ अफ्रीका’ के बहाने नायपॉल पर बहुत सारगर्भित लेख लिखा है. साझा कर रहा …
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