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कैंजा, साबुली कैंजा और मनोहर श्याम जोशी का उपन्यास ‘कसप’

कुछ उपन्यासों के प्रमुख किरदार इतने हावी हो जाते हैं कि कई संगी किरदारों पर ध्यान ही नहीं जाता। मनोहर श्याम जोशी के उपन्यास ‘कसप’ की साबुली कैंजा ऐसी ही एक किरदार हैं। मुदित विकल ने उस किरदार पर, कैंजा शब्द पर बहुत सुंदर लिखा है। साजा कर रहा हूँ …

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यतीश कुमार द्वारा ‘कसप’ पर काव्यात्मक टिप्पणी

यतीश कुमार बहुत निराले कवि हैं, जब कोई किताब पढ़ते हैं तो उसकी समीक्षा करते हुए कविता लिख देते हैं। पिछले दिनों उन्होंने मनोहर श्याम जोशी का उपन्यास ‘कसप’ पढ़ा और ऐसे प्रभावित हुए कि कई कविताएँ लिख दी। यह उनकी मौलिक शैली है और इस शैली में उनकी लिखी …

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प्रेम और कुमाऊँनी समाज के प्रेम का उपन्यास ‘कसप’

साहित्यिक कृतियों पर जब ऐसे लोग लिखते हैं जिनकी पृष्ठभूमि अलग होती है तो उस कृति की व्याप्ति का भी पता चलता है और बनी बनाई शब्दावली से अलग हटकर पढ़ने में ताज़गी का भी अहसास होता है। मनोहर श्याम जोशी के उपन्यास ‘कसप’ पर चन्द्रमौलि सिंह की इस टिप्पणी …

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‘कसप’ सिर्फ प्रेम कहानी भर नहीं है

आज हिंदी के मूर्धन्य लेखक मनोहर श्याम जोशी के गुजरे 11 साल हो गए. उनके प्रेम-उपन्यास ‘कसप’ की रचना-प्रक्रिया पर उनका यह लेख प्रस्तुत है, जो उन्होंने मेरे कहने पर लिखा था और जो जनसत्ता में सबसे पहले प्रकाशित हुआ था. उनकी अमर स्मृति के नाम- जानकी पुल. ========================= हिंदी …

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‘कसप’ मैंने घोर निराशा और मोहभंग की मनःस्थिति में लिखा: मनोहर श्याम जोशी

आज हिंदी के मूर्धन्य लेखक मनोहर श्याम जोशी जीवित होते तो ७८ साल के हुए होते. आज उनके जन्मदिन पर उनके प्रेम-उपन्यास ‘कसप’ की रचना-प्रक्रिया पर उनका यह लेख प्रस्तुत है, जो उन्होंने मेरे कहने पर लिखा था और जो जनसत्ता में सबसे पहले प्रकाशित हुआ था. उनकी अमर स्मृति …

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