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Tag Archives: krishna baldev vaid

वैद प्रश्न, प्रतिवाद और प्रति-प्रतिवाद के लेखक हैं

आज अनूठे लेखक कृष्ण बलदेव वैद की जयंती है। जीवित होते तो 92 साल के होते। उनके लेखन पर एक सूक्ष्म अंतर्दृष्टि वाला लेख लिखा है आशुतोष भारद्वाज ने। उनका यह लेख ‘मधुमती’ पत्रिका के नए अंक में प्रकाशित उनके लेखक का विस्तारित रूप है। आशुतोष जाने माने पत्रकार-लेखक हैं …

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इस वसंत को शरद से मानो गहरा प्रेम हो गया है

कृष्ण बलदेव वैद को पढ़ा सबने समझा किसने? शायद उन्होंने भी नहीं जो उनको समझने का सबसे अधिक दावा करते रहे। मुझे लगता है सबसे अधिक उनको उस युवा पीढ़ी ने अपने क़रीब पाया जो उनके अस्सी पार होने के आसपास उनका पाठक बना। युवा लेखिका सुदीप्ति के इस लिखे …

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कृष्ण बलदेव वैद की कहानी ‘कलिंगसेना और सोमप्रभा की विचित्र मित्रता’

कृष्ण बलदेव वैद की कहानियों का एक अनोखा संकलन है ‘बदचलन बीवियों का द्वीप’, इसमें उन्होंने कथासरित्सागर की कुछ कहानियों का आधुनिक संदर्भों में पुनर्लेखन किया है। उसी संकलन से एक कहानी उनको श्रद्धांजलिस्वरूप- मॉडरेटर ================================== कलिंगसेना और सोमप्रभा की विचित्र मित्रता तक्षशिला के राजा कलिंगदत्त की कमल सरीखी कोमल …

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कृष्ण बलदेव वैद का कथा आलोक

लगभग ८५ साल की उम्र में हिंदी के प्रख्यात कथाकार-उपन्यासकार कृष्ण बलदेव वैद की कहानियों की दो सुन्दर किताबों का एक साथ आना सुखद कहा जा सकता है. सुखद इसलिए भी क्योंकि इनमें से एक ‘खाली किताब का जादू’ उनकी नई कहानियों का संकलन है. दूसरा संकलन है ‘प्रवास गंगा’, …

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