अब्दुल्ला खान का उपन्यास ‘पटना ब्लूज’ मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित हुआ लेकिन इस उपन्यास को दो साल के अंदर सभी भारतीय भाषाओं ने अपनाया है। यह हाल के वर्षों में सबसे अधिक भाषाओं में अनूदित होने वाला उपन्यास बन गया है। इस उपन्यास पर एक टिप्पणी लिखी है …
Read More »‘श्वेत’ बहुत माहौल में ‘अश्वेत’ अनुभव
मिशेल ओबामा की आत्मकथा ‘बिकमिंग’ बेहतरीन किताब है, प्रेरक भी। अल्पसंख्यक(अश्वेत) समाज में पैदा होकर भी आप संघर्ष करते हुए मुख्यधारा में अपनी जगह बना सकते हैं। शिकागो के अश्वेत समुदाय से निकलकर अमेरिका के प्रिंसटन जैसे विश्वविद्यालय में पढ़ना और बाद में राष्ट्रीय फ़लक पर अपना मुक़ाम बनाना। मैंने …
Read More »कोरियाई उपन्यास ‘सिटी ऑफ़ ऐश एंड रेड’ और महामारी
महामारी के काल को लेकर बहुत लिखा गया है। अलग अलग भाषाओं में लिखा गया है। आज एक कोरियाई उपन्यास ‘सिटी ऑफ़ ऐश एंड रेड’ की चर्चा। लेखक हैं हे यंग प्यून। इस उपन्यास पर लिखा है कुमारी रोहिणी ने, जो कोरियन भाषा पढ़ाती हैं ===================== लॉकडाउन के इस दौर …
Read More »उदय प्रकाश की कविताएँ उनकी एक प्रशंसिका की पसंद
बरसों बाद उदय प्रकाश का कविता संग्रह आया है ‘अम्बर में अबाबील’। मैं उदय जी की नैरेटिव कविताई का क़ायल रहा हूँ। लेकिन वाणी प्रकाशन से प्रकाशित उनके इस संग्रह की कुछ कविताएँ उनकी प्रशंसिका कुमारी रोहिणी ने अपनी पसंद से चुनी हैं। आप भी पढ़िए- मॉडरेटर =================== 1. जलावतनी …
Read More »किसान आंदोलनों के पीछे षड़यंत्र नहीं किसानों के दर्द को समझिये!
देश में किसानों के संघर्ष बढ़ रहे हैं. हम उसको समझने के स्थान पर या तो उनके मध्यवर्गीय समाधान सुझा रहे हैं या उसके पीछे किसी बड़े राजनीतिक षड़यंत्र को देख रहे हैं. कुमारी रोहिणी का यह लेख ऐसे ही कुछ सवालों को समझने की एक कोशिश की तरह है- …
Read More »कोरियाई उपन्यास ‘द वेजेटेरियन’ और अनुवाद को लेकर कुछ बातें
कोरियन भाषा की लेखिका हान कांग को उनके उपन्यास ‘द वेजेटेरियन’ को प्रतिष्ठित मैन बुकर प्राइज मिला तो इस किताब की दुनिया भर में धूम मच गई. पहली बार हुआ था कि इस उपन्यास की अंग्रेजी अनुवादिका को भी लेखिका के साथ पुरस्कार दिया गया. इस उपन्यास और इसके अनुवाद …
Read More »फिल्म में लड़ाई पद्मावती के लिए नहीं बल्कि पद्मावती से है
इसमें कोई शक नहीं कि हाल के दिनों में सबसे अधिक व्याख्या-कुव्याख्या संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ को लेकर हुई. बहरहाल, यह एक व्यावसायिक सिनेमा ही है और मनोरंजक भी है. इस फिल्म पर जेएनयू में कोरियन भाषा की शोधार्थी कुमारी रोहिणी की समीक्षा- मॉडरेटर ============================= बात तो सच …
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