लक्ष्मी शर्मा के उपन्यास ‘सिधपुर की भगतणें’ पर यह सुविचारित टिप्पणी लिखी है जितेंद्र विसारिया ने। आप भी पढ़ सकते हैं- =========================== उपन्यास भले ही बाह्य विधा के रूप में हिंदी में प्रविष्ट हुई हों, किन्तु यह विधा आधुनिक खड़ी बोली के प्रारंभिककाल से ही हिंदी साहित्य की लोकप्रिय …
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