हमारी पीढ़ी में सबसे अलग मुहावरे वाले कवि तुषार धवल की कुछ नई कविताएँ. तुषार की कविताओं में मुझे कभी-कभी अकविता की सी झलक दिखाई देती है, कभी अपने प्रिय कवि श्रीकांत वर्मा की आहट सुनाई देती है, लेकिन उनका स्वर एकदम समकालीन है. इन नई कविताओं को पढकर देखिये- …
Read More »बात इतनी सपाट हो जाएगी कि कला नहीं रहेगी
आर. चेतनक्रान्ति की कविताएँ किसी आशा, किसी विश्वास की कविताएँ नहीं हैं, न ही स्वीकार की. वे नकार के कवि हैं, उस नकार के जो आज मध्यवर्ग की संवेदना का हिस्सा है. ‘भयानक खबर’ के इस कवि ने हिंदी कविता को नया स्वर दिया, नए मुहावरे दिए. भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार …
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