Home / Tag Archives: mrinal pande (page 3)

Tag Archives: mrinal pande

मृणाल पाण्डे की कथा ‘राजा की खोपड़ी उर्फ अग्रे किं किं भविष्यति?’        

प्रसिद्ध लेखिका, संपादक मृणाल पाण्डे आजकल प्रत्येक सप्ताह एक बोध कथा लिख रही हैं जो बच्चों को न सुनाने लायक़ हैं। यह आठवीं कड़ी है। इन पारम्परिक बोधकथाओं को पढ़ते हुए समकालीन समाज की विडंबनाओं का तीखा बोध होता है। जैसे यह कहानी देखिए इनमें किस भविष्य की आहट है- …

Read More »

खीर: एक खरगोश और बगुलाभगत कथा: मृणाल पाण्डे

प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे आजकल बच्चों को न सुनाने लायक़ बालकथाएँ लिख रही हैं। आज सातवीं कड़ी में जो कथा है उसको पढ़ते हुए समकालीन राजनीति का मंजर सामने आ जाता है। आप भी पढ़कर राय दें- ============================ एक बार की बात है, एक था बगुला, एक था खरगोश। दोनो …

Read More »

मृणाल पाण्डे की कहानी ‘निर्बुद्धि राजा और देशभक्त चिड़ियों की कथा’

प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे इन दिनों कथा ऋंखला लिख रही हैं- बच्चों को न सुनाने लायक बालकथा। यह उस सीरिज़ की छठी कथा है। जितनी प्राचीन उतनी ही समकालीन। इतिहास अपने आपको दुहराता है या नहीं लेकिन कथाएँ अपने आपको दुहराती हैं। एक रोचक, पठनीय और प्रासंगिक कथा का आनंद …

Read More »

मृणाल पाण्डे की कहानी ‘पिशाचों की पोथी और पंडित की कथा’

प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे आजकल बच्चों को न सुनाने लायक बालकथाएँ लिख रही हैं। यह पाँचवीं कड़ी है। इस बार उन्होंने गुणाढ्य और उनके कथाओं के चिरंतन कोष,  बृहत्कथासरित्सागर की बाबत  पर जो किंवदंतियाँ हैं, उनको कथा में ढाला है। एक ऐसा राजा जो झोपड़ी में पैदा हुआ पर चौदह …

Read More »

मृणाल पाण्डे की नई कथा ‘राजा का हाथी’

बहुत सारी बोध कथाएँ या तो प्रतापी राजाओं की लिखी गई या अताताई राजाओं की। ऐसी ही कुछ बोध कथाओं का प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे द्वारा पुनर्लेखन किया जा रहा है। लेकिन वे कथाएँ बच्चों को नहीं बड़ों को बोध करवाने वाली हैं।  ‘बच्चों को न सुनाने लायक बाल कथा’ …

Read More »

मृणाल पाण्डे की कथा: लोल लठैत और विद्या का घड़ा

बच्चों को न सुनाने लायक बालकथा -3 प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पांडे अपने लेखन में निरंतर प्रयोग करती रहती हैं। हाल के वर्षों में जितने कथा प्रयोग मृणाल जी ने किए हैं उतने कम लेखकों ने ही किए होंगे। बच्चों को न सुनाने लायक बालकथा उनकी नई सीरिज़ है जिसमें वह …

Read More »

लालची हूहू की कहानी:   मृणाल पाण्डे

प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे आजकल एक सीरीज़ लिख रही हैं ‘बच्चों को न सुनाने लायक बाल कथा’, जिसमें पारम्परिक बोध कथाओं को लिख रही हैं और समकालीन संदर्भों में वे पोलिटिकल सटायर लगने लग रही हैं। सीरीज़ की दूसरी कथा पढ़िए- जानकी पुल ================================= बहुत दिन हुए एक घने जंगल …

Read More »

बच्चों को न सुनाने लायक एक बालकथा:  मृणाल पाण्डे

जानी-मानी लेखिका मृणाल पांडे पारम्परिक कथा-साँचों में आधुनिक प्रयोग करती रही हैं। इस बार उन्होंने एक पारम्परिक बाल कथा को नए बोध के साथ लिखा है और महामारी, समकालीन राजनीति पर चुभती हुई व्यंग्य कथा बन गई है। एक पाठक के तौर पर यही कह सकता हूँ कि महामारी काल …

Read More »

मृणाल पांडे की लम्बी कहानी ‘पार्टीशन’

जानी-मानी लेखिका मृणाल पाण्डे की कहानी ‘पार्टीशन’ पढ़िए. उनके लेखन में गजब की किस्सागोई के साथ-साथ विभाजन का एक विराट रूपक भी. हमेशा की तरह बेहद पठनीय और सोचनीय भी- मॉडरेटर =================   पार्टीशन :                                    8 मार्च 2019 ऐसा कैसा बेसिर पैर का पार्टीशन? अय देखा न सुना। बँटे …

Read More »

मृणाल पांडे का उपन्यास ‘सहेला रे’ माइक्रोहिस्टोरिकल फ़िक्शन है

मृणाल पांडे का उपन्यास ‘सहेला रे’ एक दौर की कला की दास्तानगोई है. महफ़िल गायकी की छवि को दर्ज करने की एक नायाब कोशिश. इस उपन्यास पर नॉर्वेवासी अपने लेखक डॉक्टर प्रवीण झा ने लिखा है. उपन्यास राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित है. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर ============================= कुछ किताबों के …

Read More »