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Tag Archives: namwar singh

नामवर सिंह एक व्यक्ति नहीं प्रतीक थे

नामवर सिंह के निधन पर श्रद्धांजलि स्वरुप यह लेख नॉर्वे प्रवासी डॉक्टर-लेखक प्रवीण झा ने लिखा है- मॉडरेटर ================ नामवर सिंह जी पर लिखने बैठा तो घिघ्घी बँध गयी। यूँ हज़ार–दो हज़ार शब्द लिख डालना कोई बड़ी बात नहीं; लेकिन यह शब्द लिखे किनके लिए जा रहे हैं? शब्दों के …

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सलूक जिससे किया मैने आशिकाना किया !

आज नामवर सिंह जी का जन्मदिन है। उनके ऊपर बहुत अच्छा लेख युवा लेखक विमलेंदु ने लिखा है- मौडरेटर ====================================================== पिछली 28 जुलाई को नामवर सिंह जब नब्बे साल के हुए तो उनके विरोधी उन्हें चुका हुआ मानकर उत्साह के अतिरेक में थे. उनके जन्मदिन पर इन्दिरा गाँधी कलाकेन्द्र, दिल्ली …

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नामवर सिंह का सम्मान हिंदी का सम्मान है!

मुझे याद आ रहा है कि एक बार ‘कथादेश’ पत्रिका के एक कार्यक्रम में उत्तर-आधुनिक विद्वान सुधीश पचौरी ने नामवर सिंह को हिंदी का अमिताभ बच्चन कहा था. आज नामवर सिंह के 90वें जन्मदिन के दिन यह कथन याद आ रहा है तो यह भी याद आ गया कि चाहे …

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नामवर सिंह की कविताएँ

हाल में ही राजकमल प्रकाशन से एक किताब आई है ‘प्रारंभिक रचनाएं’, जिसमें नामवर सिंह की कुछ शुरूआती रचनाओं को संकलित किया गया है. संपादन भारत यायावर ने किया है. उसमें नामवर जी की कुछ आरंभिक कविताएँ भी हैं. उसी में से कुछ चुनी हुई कविताएँ आपके लिए- जानकी पुल. ==================================================  …

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बन के सब चिल्ला पड़े- धिक्-धिक् है यह कौन!

नामवर सिंह की हस्तलिपि में मैंने पहली बार कुछ पढ़ा. रोमांच हो आया. इसका शीर्षक भले ‘एक स्पष्टीकरण’ है, लेकिन ऐसा लगता नहीं है कई यह किसी के लिखे विशेष के सन्दर्भ में दिया गया स्पष्टीकरण है. आप सब पढ़िए और निर्णय कीजिये- प्रभात रंजन. (नोट- साथ में, मूल पत्र …

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नामवर सिंह पर कमलेश्वर का लेख

  यह नामवर सिंह के जन्म का महीना है. आज भी हिंदी की सबसे बड़ी पहचान नामवर सिंह ही हैं. उनके शतायु होने की कामना के साथ यह लेख जो ‘कहानी नई कहानी’ पुस्तक के लेखक नामवर सिंह पर प्रसिद्ध लेखक कमलेश्वर ने लिखा था- जानकी पुल. ———————————————————————————– ज़िंदगी में …

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क्या सचमुच लेखक की भूमिका भौंकते हुए कुत्ते सरीखी है?

साहित्यिक पत्रिका ‘तद्भव’ द्वारा लखनऊ में 21 व 22 अप्रैल को सेमिनार का आयोजन हुआ, जिसमें आदरणीय नामवर सिंह और श्री काशीनाथ सिंह के वक्तव्यों को लेकर बड़ा बवाल हुआ. नामवर जी ने कहा कि सत्ता के समक्ष साहित्यकार की हैसियत कांता यानी जोरू जैसी है तथा काशीनाथ जी ने …

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अज्ञेय अपने दौर के सबसे बड़े कवि थे- नामवर सिंह

ओम थानवी (बाएं) द्वारा संपादित ‘अपने अपने अज्ञेय’ के परिवर्धित संस्करण (दो भाग) का लोकार्पण करते हुए डॉ नामवर सिंह. साथ में हैं कुंवर नारायण और अशोक वाजपेयी  हमारी भाषा के मूर्धन्य आलोचक नामवर सिंह ने कहा है कि अज्ञेय अपने दौर के सबसे बड़े कवि थे, कि ‘शेखर: एक …

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क्या रेणु ने भाषा में आंचलिकता की छौंक अधिक लगा दी?

२८ फरवरी को राजकमल प्रकाशन के स्थापना दिवस के अवसर पर अजित वडनेरकर को ‘शब्दों का सफर’ के लिए एक लाख का पुरस्कार दिया गया. इस अवसर पर नामवर सिंह जी ने बोलते हुए कई बहसतलब बातें कहीं. एक तो उन्होंने कहा कि रेणु जैसे आंचलिक लेखकों ने आंचलिक प्रयोगों …

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