कथाकार-पत्रकार आशुतोष भारद्वाज छत्तीसगढ़ के नक्सली घोषित इलाकों में घूम-घूम कर बड़ी बारीक टिप्पणियां कर रहे हैं, बड़े वाजिब सवाल उठा रहे हैं. भूलने के विरुद्ध एक जरूरी कार्रवाई- जानकी पुल. ————— नये साल की पहली रात। बस्तर और कश्मीर की भौगोलिक काया और जैविक माया में रोचक साम्य — …
Read More »सुकमा के जंगल में काली धातु चमकती है
प्रसिद्ध पत्रकार आशुतोष भारद्वाज ने 2012 में छत्तीसगढ़ के नक्सली इलाकों में रहते हुए वहां के अनुभवों को डायरी के रूप में लिखा था. सुकमा की नृशंस हत्याओं के बाद उनकी डायरी के इस अंश की याद आई जो नक्सली माने जाने वाले इलाकों की जटिलताओं को लेकर हैं. हालात …
Read More »कहां हो दिल्ली के परमज्ञानी आचार्य?
जशपुर के ठूंठी अम्बा गाँव में एक पिता जिसकी बेटी हाल में ही लौटी युवा कथाकार-पत्रकार आशुतोष भारद्वाज छत्तीसगढ़ के ग्रामीण-जंगली इलाकों को एक नई नज़र से देख रहे हैं, ऐसी नज़र से जिसमें लोगों को पहचानने के बने-बनाये सांचे नहीं हैं, बल्कि इंसान तक पहुँचने वाली इंसानी समझ है. …
Read More »कोई और न सही, अबूझमाड़ तो साक्षी होगा ही
कथाकार आशुतोष भारद्वाज की नक्सल डायरीविकास और सभ्यता की परिभाषाओं से दूर गाँवो-कस्बों के उन इलाकों के भय-हिंसा से हमें रूबरू कराता है जिसे सरकारी भाषा में नक्सल प्रभावित इलाके कहा जाता है. इस बार अबूझमाड़ – जानकी पुल. पहाड़ और जंगल के बीच अटके किसी कस्बे का बीच सितंबर। — …
Read More »बस्तर में एक पूरी प्रजाति का स्नायु-संविधान बदल रहा है
युवा कथाकार आशुतोष भारद्वाजइन दिनों अपने अखबार के असाइनमेंट पर छत्तीसगढ़ के उन इलाकों में रह रहे हैं जिन्हें ‘नक्सल प्रभावित क्षेत्र’ कहा जाता है. खौफ, संशय, हिंसा के साये में जीता वह समाज किस तरह बदल रहा है इसकी कुछ टीपें उन्होंने अपनी डायरी में दर्ज की हैं. नाम …
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