युवा कवि नीरज शुक्ल की कुछ नई कविताएँ पढ़ी तो उनमें मुझे ताजगी महसूस हुई. आपसे साझा कर रहा हूं- प्रभात रंजन ======== विस्मृति तुम्हारी स्मृतियों में कहीं गुम हो गया हूँ मै जो तुम्हे तकरीबन याद नहीं उस एक दुनिया का नागरिक हूँ तुम्हारी खोयी हुयी पेंसिलों, आलपिनों,रबर के टुकड़ों, नेल पालिश की …
Read More »