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Tag Archives: oma sharma

प्रेमचंद को पहली बार पढ़ते हुए

जाने माने लेखक ओमा शर्मा ने प्रेमचंद की कहानियों को पहली बार पढने के अपने अनुभवों को इस लेख में साझा किया है. प्रोफ़ेसर रामबक्ष द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘प्रेमचंद को पहली बार पढ़ते हुए’ में यह लेख भी शामिल है. आज प्रेमचंद के जन्मदिन पर उनको याद करते हुए यह …

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पता नहीं क्यों इधर दु:स्वप्न झूठे नहीं हो रहे हैं!

दिल्ली-मुम्बई जैसे महानगरों में कला संस्कृति का कारोबार बढ़ता जा रहा है लेकिन कलाकारों-संस्कृतिकर्मियों की अड्डेबाजी की जगहें कम होती जा रही हैं. मुंबई में ऐसा ही एक ठिकाना था समोवार कैफे, जिसके बंद होने पर बड़ा ही मार्मिक लेख लिखा है लेखक ओमा शर्मा ने. अब कितने लेखक कलाकार रह …

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ओमा शर्मा की ‘अदब से मुठभेड़’

आज लेखक ओमा शर्मा की पुस्तक ‘अदब से मुठभेड़’ का लोकार्पण है. हिंद पॉकेट बुक्स से प्रकाशित इस पुस्तक में  राजेन्द्र यादव, मन्नू भंडारी, प्रियंवद और शिवमूर्ति और मशहूर पेंटर मकबूल फ़िदा हुसैन से समय समय पर लिए गये लम्बे साक्षात्कारों को संकलित किया गया है. ओमा शर्मा लो प्रोफाइल रहकर …

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आप कैसी कहानियां लिखते हैं?

ओमा शर्मा ऐसे लेखकों में हैं जिनके लिए लिखना जीवन-जगत के गहरे सवालों से दो-चार होना है. इस लेख में भी वह दिखाई देता है- जानकी पुल. ======================= ‘आप कैसी कहानियां लिखते हैं’? परिचय की परिधि पर मिलने वालों की तरफ से मेरी तरफ जब मौका मिलते ही यह सवाल …

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जनरल ये जो तुम्हारा टैंक है पूरे जंगल को रौंद सकता है

कथाकार ओमा शर्मा को हाल में ही रमाकांत स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उस अवसर पर उन्होंने जो वक्तव्य दिया था आज आपके लिए प्रस्तुत है- जानकी पुल. ========================================= मैं रमाकांत स्मृति पुरस्कार की संयोजन समिति और इस वर्ष के निर्णायक श्री दिनेश खन्ना का अभारी हूं जिन्होंने इस …

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ओमा शर्मा की पुरस्कृत कहानी ‘दुश्मन मेमना’

ओमा शर्मा हमारे दौर के प्रमुख कथाकार हैं. उनको ‘रमाकांत स्मृति कथा-सम्मान’ दिए जाने की घोषणा हुई है. प्रस्तुत है उनकी पुरस्कृत कहानी : जानकी पुल ====================================================================== वह पूरेइत्मीनानसेसोयीपड़ीहै।बगलमेंदबोचेसॉफ्टतकिएपरसिरबेढंगापड़ाहै।आसमानकीतरफकिएअधखुलेमुंहसेआगेवालेदांतोंकीकतारझलकरहीहैं।होंठ कुछ पपडा़ से गए हैं,सांस का कोई पता ठिकाना नहीं है। शरीर किसी  खरगोशकेबच्चेकीतरहमासूमियतसेनिर्जीवपड़ाहै।मुड़ी–तुडी़  चादरकादोतिहाईहिस्साबिस्तरसेनीचेलटकापड़ाहै।सुबहकेसाढ़ेग्यारहबजरहेहैं।हरछुट्टीकेदिनकीतरहवहयूंसोयीपड़ीहैजैसेउठनाहीनहो।एक–दो बार मैंने दुलार से उसे ठेला …

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जो कलाकार सच्चा है वह चट्टान की तरह खड़ा रहेगा

समकालीन भारतीय चित्रकला के एक तरह से पर्याय सरीखे रहे मकबूल फ़िदा हुसैन का पिछले साल आज की रात ही देहांत हो गया था. उनको याद करते हुए प्रसिद्ध कथाकार ओमा शर्मा की उनसे यह बातचीत, जो मुझे कई मायनों में महत्वपूर्ण लगती है. एक, तो ओमा शर्मा ने इस …

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