मार्केज़ के अनुवादों को लेकर किसी से खूब चर्चा हुई तो मुझे याद आया कि उनकी एक कहानी का सुन्दर अनुवाद सरिता शर्मा ने किया है- ‘नीले कुत्ते की आँखें.’ मार्केज़ की इस एक और कहानी का हिंदी में आनंद उठाइए- प्रभात रंजन ==================================================== फिर उसने मेरी ओर देखा. मुझे …
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