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Tag Archives: orhan pamuk

श्रेष्ठ कृतियों की सूची बनाकर उनका बार-बार अध्ययन करना चाहिए

‘वागर्थ’ पत्रिका के मई अंक में एक परिचर्चा प्रकाशित हुई है ‘समकालीन कथा साहित्य और बाजार’  विषय पर. इसमें मैंने भी सवालों के जवाब दिए थे. पत्रिका के सवालों के साथ अपने जवाब प्रस्तुत कर रहा हूँ. उनके लिए जिन्होंने न पढ़ा हो और जो पढना चाहते हों- प्रभात रंजन  …

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‘इस्ताम्बुल’ पढ़ने से ईस्ट और वेस्ट का अपना विजन बनता है

सुपरिचित कवयित्री, अनुवादिका और लेखिका अपर्णा मनोज ने ओरहान पामुक की प्रसिद्ध पुस्तक ‘इस्ताम्बुल’ पर लिखा है. पूर्व और पश्चिम की सभ्यता के संगम स्थल को लेकर पामुक ने स्मृति-कथा लिखी है और उसका विश्लेषण अपर्णा जी ने डायरी की शैली में किया है. बहुत मार्मिक और रोचक- जानकी पुल. …

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किसी यूरोपियन के सामने खड़े हो कर हम अपने को नीचा समझते हैं

  ओरहान पामुक का प्रसिद्द उपन्यास ‘स्नो’ पेंगुइन’ से छपकर हिंदी में आनेवाला है. उसी उपन्यास के एक चरित्र ‘ब्लू’, जो आतंकवादी है, पर गिरिराज किराड़ू ने यह दिलचस्प लेख लिखा है, जो आतंकवाद, उसकी राजनीति के साथ-साथ अस्मिता के सवालों को भी उठाता है- जानकी पुल.       …

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