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Tag Archives: pawan karan

स्त्री-पुरुष के अन्तःमन की पड़ताल : स्त्री मेरे भीतर

पवन करण के कविता संग्रह ‘स्त्री मेरे भीतर’ पर यह सुविचारित टिप्पणी लिखी है युवा लेखिका अनु रंजनी ने। आप भी पढ़ सकते हैं- =======================          जब हम स्त्री-गुण या पौरुष-गुण की बात करते हैं तो हम कहीं न कहीं समाज द्वारा निर्मित मापदंडों को ही सच मान रहे होते …

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इतिहास, स्त्री एवं पवन करण का ‘स्त्री शतक’

वरिष्ठ कवि पवन करण की पुस्तक ‘स्त्री शतक’ की एक विस्तृत समीक्षा लिखी है अमित मंडलोई ने- मॉडरेटर ============================================================== पीढिय़ों का इतिहास पन्नों में दफन हो जाता है। उन्हीं के साथ नेपथ्य में चले जाते हैं शूरवीरों के किस्से और युद्ध की गाथाएं। खत्म हो जाती हैं सारी कही-अनकही कहानियां। …

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पवन करण की कुछ कविताएँ

हिंदी वालों का एक दुचित्तापन मुझे समझ में नहीं आता है कि जब भी कोई कवयित्री ऐन्द्रिक(सेंसुअस) कविताएँ लिखती है तो उसकी खूब तारीफ करते हैं लेकिन जब कोई पुरुष सेंसुअस कविताएँ लिखता है तो नैतिकता के आधार पर उसकी निंदा करते हैं. अभी वरिष्ठ कवि पवन करण की कुछ …

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अनामिका की कविता ‘ब्रेष्ट कैंसर और पवन करण की कविता ‘स्तन’

अनामिका की यह कविता और पवन करण की कविता ‘स्तन’ प्रस्तुत है जिसको लेकर शालिनी माथुर, दीप्ति वर्मा, उद्भ्रांत के पाठ आ चुके हैं और वाद-विवाद का सिलसिला चल पड़ा है- जानकी पुल. =====================================   ब्रेस्ट कैंसर (वबिता टोपो की उद्दाम जिजीविषा को निवेदित)दुनिया की सारी स्मृतियों कोदूध पिलाया मैंने,हाँ, बहा …

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