नरेंद्र कोहली ने अपने जीवन काल में यही अंतिम किताब तैयार की थी। ‘सागलकोट’ में उनके विस्थापन की मार्मिक कथा है। जब भारत विभाजन के समाय उनको स्यालकोट में अपना घर छोड़ सीमा के इस पार आना पड़ा था। पेंगुइन हिंद पॉकेट बुक्स से प्रकाशित इस किताब का एक रोचक …
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