Home / Tag Archives: prabhat ranjan (page 6)

Tag Archives: prabhat ranjan

क्या ‘वासकसज्जा’ हिंदी का सबसे अश्लील उपन्यास है?

इमरजेंसी के बाद कोठे का मतलब बदलने लगा था. इस बात के ऊपर लोगों का ध्यान नहीं गया है कि इमरजेंसी में बैन होने के बाद से नाच-गान के पारंपरिक पेशों की जगह कोठे रेडलाईट एरिया में तब्दील हो गए. उन्हीं दिनों मुंबई के कमाटीपुरा की यौनकर्मियों के जीवन को …

Read More »

कविता एवं कला महोत्सव, शिमला में मिलते हैं !

साहित्य-कला उत्सवों के दौर में यह अपने तरह का पहला आयोजन है-कविता एवं कला महोत्सव, शिमला. लिटरेचर फेस्टिवल्स के दौर में बिना किसी प्रयोजन के यह आयोजन सहभागिता के आधार पर है. जून का महीना शिमला में पीक टूरिस्ट सीजन होता है, ऐसे में 13-14 जून को वहां रहने और …

Read More »

गंभीर और लोकप्रिय साहित्य के बीच कोई अंतर नहीं होता है!

हिंदी में लोकप्रिय और गंभीर साहित्य के अंतर्संबंधों को लेकर मेरा यह लेख ‘पाखी’ पत्रिका के नए अंक में प्रकाशित हुआ है- प्रभात रंजन  ==================== ‘जोशीजी ने जमकर लिखने का मूड बनाने के लिए फ़ॉर्मूला 99 आजमाने की सोची. इसके अंतर्गत जोशीजी एक आध्यात्मिक, एक किसी शास्त्र-विज्ञान सम्बन्धी और एक …

Read More »

जेंटलमैन लेखक थे विजय मोहन सिंह

विजय मोहन सिंह नहीं रहे. यह सुनते ही सबसे पहले मन हिन्दू कॉलेज होस्टल के दिनों में वापस चला गया. मेरा दोस्त आनंद विजय उनका नाम लेता था, कहता था बड़े लेखक हैं. उसके पिता के साथ उन्होंने कभी महाराजा कॉलेज, आरा में अध्यापन किया था. विजय मोहन जी को …

Read More »

अमेजन क्रांति के दौर में हिदी किताबें और पाठक

परसों बिहार के कटिहार से संजय जी का फोन आया था. फोन उठाते ही उन्होंने कहा कि वे करीब एक साल से जानकी पुल समय मिलने पर जरूर पढ़ते हैं. छौ ईंच स्क्रीन वाला मोबाइल फोन ले लिए हैं. ‘ई लप्रेक क्या है?’ उन्होंने छूटते ही पूछा. कहा कि आप …

Read More »

विश्व पुस्तक में क्या रहे ट्रेंड?

इस बार पुस्तक मेले में चार दिन जाना हुआ. पहले सोचा था नहीं जाऊँगा. लेकिन एक बार जाइए तो बार-बार जाने का मन करता है. एक साथ इतने बड़े लेखकों से मुलाकात, बातें, बतकही- अच्छा लगने लगता है. आज लिख रहा हूँ तो सबकी याद आ रही है. अच्छा मौका …

Read More »

डीयू का बिहार कनेक्शन और अंग्रेजी उपन्यास

लोकप्रिय अंग्रेजी उपन्यासों का यह साल दिल्ली विश्वविद्यालय के नाम रहा. दिल्ली विश्वविद्यालय का बिहार कनेक्शन इस साल अंग्रेजी के लोकप्रिय उपन्यासों का सबसे कारगर मुहावरा रहा. रविंदर सिंह का उपन्यास ‘Your Dreams are Mine Now’(हिंदी अनुवाद: तुम्हारे सपने हुए अपने) इस श्रृंखला की आखिरी कड़ी है. सबसे पहले आया …

Read More »

‘समन्वय’ की शुरुआत पर कुछ बातें पॉपुलर पॉपुलर!

आज से इण्डिया हैबिटेट सेंटर के भारतीय भाषा फेस्टिवल ‘समन्वय’ के चौथे सत्र का शुभारम्भ हो रहा है. इस बार ‘समन्वय’ का पहला ही सत्र (कल 2 बजे दोपहर) ‘पल्प-गल्प’ यानी हिंदी के नए लोकप्रिय लेखन को लेकर है. इससे यह समझ में आता है कि हिदी में नए ढंग का …

Read More »

खतरनाक सच का सामना है ‘एक भाई का क़त्ल’

‘एक भाई का क़त्ल’शीर्षक से ही लगता है खूनखराबे वाला उपन्यास होगा, जिसमें रहस्य-रोमांच की गुत्थियाँ होंगी. लेकिन तुर्की के युवा लेखक बारिश एम. के इस उपन्यास में अपराध कथा के साथ एक बड़ी सामाजिक समस्या का ऐसा तड़का लगाया गया है कि तुर्की के इस्ताम्बुल की यह कहानी तीसरी दुनिया …

Read More »

श्रेष्ठ कृतियों की सूची बनाकर उनका बार-बार अध्ययन करना चाहिए

‘वागर्थ’ पत्रिका के मई अंक में एक परिचर्चा प्रकाशित हुई है ‘समकालीन कथा साहित्य और बाजार’  विषय पर. इसमें मैंने भी सवालों के जवाब दिए थे. पत्रिका के सवालों के साथ अपने जवाब प्रस्तुत कर रहा हूँ. उनके लिए जिन्होंने न पढ़ा हो और जो पढना चाहते हों- प्रभात रंजन  …

Read More »