‘पाखी’ में मेरी एक कहानी आई है। मुजफ्फरपुर के चतुर्भुज स्थान की गुमनाम गायिका पन्ना बाई से जुड़े किस्सों को लेकर। पिछले आठ साल से मैं चतुर्भुज स्थान की गायिकाओं, उस्तादों से जुड़े किस्सों के संकलन एक काम में लगा हुआ हूँ। यह किस्सा उस शृंखला की पहली कड़ी है। …
Read More »क्रांति-क्रांति-क्रांति, भ्रांति, भ्रांति, भ्रांति!
साहित्य में क्रांति-क्रांति करने वाले हिन्दी लेखक अक्सर सामाजिक क्रांतियों से दूर ही रहते आए हैं। आज ‘प्रभात खबर’ में प्रकाशित मेरा लेख- प्रभात रंजन ================================ ‘वह (साहित्य) देशभक्ति और राजनीति के पीछे चलने वाली सच्चाई भी नहीं, बल्कि उनके आगे मशाल दिखाती हुई चलने वाली सच्चाई है’– प्रेमचंद द्वारा …
Read More »एक छोटी कहानी ‘शॉर्ट फिल्म’
मैं मूलतः कथाकार हूँ। भूलतः कुछ और हूँ। इसी बात की याद दिलाने के लिए कभी-कभी आपको अपनी कहानियाँ पढ़वाता रहता हूँ। यह छोटी सी कहानी आई है आउटलुक के नए अंक में- प्रभात रंजन ==== ==== 15 अक्टूबर को मेरी शॉर्ट फिल्म ‘उजाला’ का शो है सीरी फोर्ट में …
Read More »वे हर बात का जवाब देते थे, सबको जवाब देते थे
जिन दिनों सीतामढ़ी में इंटर का विद्यार्थी था तो अपने मित्र श्रीप्रकाश की सलाह पर मैंने एक पत्र राजेंद्र यादव को लिखा था. ‘हंस’ पत्रिका हमारे गाँव तक भी पहुँचती थी. हम दोनों मित्र लेखक बनने के लिए बेचैन थे और जिससे भी मौका मिलता लेखक बनने की सलाह मांगते …
Read More »‘समन्वय’ अब अगले बरस का इंतज़ार है!
शाम को पार्थो दत्ता सर ने फोन किया. पूछा- उस लेखक का क्या नाम है जिसके बारे में तुमने कहा था कि यह कवि अच्छा है, जिसकी किताब पेंगुइन ने छापी है. मुझे याद आ गया कि उन्होंने ज्ञान प्रकाश विवेक की एक कहानी का का जिक्र किया था. वह …
Read More »औरंगजेब, दारा, लाहौर और रिश्तों के अँधेरे
मोहसिन हामिद समकालीन पाकिस्तानी अंग्रेजी लेखन का जाना-माना नाम है. अभी उनके मशहूर उपन्यास ‘रिलक्टेंट फण्डामेंटलिस्ट’ पर फिल्म भी आई थी. उनके पहले उपन्यास ‘मोथ स्मोक’ का अनुवाद पेंगुइन से प्रकाशित हुआ है ‘जल चुके परवाने कई’ नाम से. अनुवाद मैंने किया है. कई अर्थों में यह उपन्यास समकालीन पाकिस्तानी …
Read More »‘बैड गर्ल’ और उसकी नायिका
मारियो वर्गास योसा के उपन्यास ‘बैड गर्ल’ की नायिका पर यह छोटा-सा लेख मैंने ‘बिंदिया’ पत्रिका के लिए लिखा था. जिन्होंने नहीं पढ़ा है उनके लिए- प्रभात रंजन. =========================================== करीब छह साल पहले मारियो वर्गास योसा का उपन्यास पढ़ा था ‘बैड गर्ल’. पेरू जैसे छोटे से लैटिन अमेरिकी देश के …
Read More »कला और विज्ञान के संधि स्थल पर खड़ा युगपुरुष स्टीव जॉब्स
आज ‘इण्डिया टुडे’ में ‘मैं, स्टीव: मेरा जीवन, मेरी जुबानी’ पुस्तक की मेरे द्वारा लिखी गई समीक्षा प्रकाशित हुई है. आप उसे चाहें तो यहाँ भी पढ़ सकते हैं. उनका व्यक्तित्व मुझे बहुत प्रेरणादायी लगता रहा है. फिलहाल पुस्तक की समीक्षा- प्रभात रंजन ===================================== स्टीव जॉब्स के बारे में कहा …
Read More »क्या ‘बेस्टसेलर’ नकारात्मक संज्ञा है?
‘बेस्टसेलर’ को लेकर ये मेरे त्वरित विचार हैं. मैं यह नहीं कहता कि आप मेरी बातों से सहमत हों, लेकिन मेरा मानना है कि बेस्टसेलर को लेकर धुंध साफ़ होनी चाहिए. आपकी प्रतिक्रियाओं का स्वागत है- प्रभात रंजन. ================ क्या ‘बेस्टसेलर’ नकारात्मक संज्ञा है या हिंदी समाज बिकने वाली चीजों …
Read More »महान नहीं लेकिन जरुरी लेखक हैं नरेन्द्र कोहली
नरेन्द्र कोहली को व्यास सम्मान मिलने पर मेरा यह लेख आज के ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित हुआ है. नरेन्द्र कोहली कोई महान लेखक नहीं हैं लेकिन एक जरुरी लेखक जरुर हैं. ऐसा मेरा मानना है- प्रभात रंजन =============== नरेन्द्र कोहली को वर्ष 2012 का व्यास सम्मान दिया गया …
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