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Tag Archives: prabhat ranjan

क्या हिंदी किताबों का पाठकों के साथ सीधा संबंध बन पायेगा?

पुस्तकों के भविष्य को लेकर कुछ दिनों पहले मैंने यह लेख लिखा था. आज आपसे साझा कर रहा हूँ. आखिर इंटरनेट के युग में पुस्तकों का क्या स्वरुप बनेगा, वह सीधे पाठकों तक पहुँच पायेगी या पहले की ही तरह लाइब्रेरी में ‘डंप’ होती रहेगी? ऐसे ही कुछ सवालों के …

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नीम करौली बाबा और स्टीव जॉब्स

वाल्टर इसाकसन द्वारा लिखी गई स्टीव जॉब्स की जीवनी का एक सम्पादित अंश. अनुवाद एवं प्रस्तुति- प्रभात रंजन  ===========================   स्टीव जॉब्स के बारे में कहा जाता है कि तकनीकी के साथ रचनात्मकता के सम्मिलन से उन्होंने जो प्रयोग किए उसने २१ वीं सदी में उद्योग-जगत के कम से कम …

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‘लोकप्रिय’ लेखक को महत्वपूर्ण सम्मान

बड़े साहित्यिक पुरस्कार ‘महत्वपूर्ण’ साहित्य को मिलना चाहिए या ‘लोकप्रिय’ साहित्य को. वर्ष २०११ का प्रतिष्ठित मैन बुकर प्राइज़ जूलियन बर्न्स के उपन्यास ‘द सेन्स ऑफ एंडिंग’ को मिलने से यह बहस छिड़ गई है. कोई भी पुरस्कार सभी साहित्यिकों की अपेक्षाओं पर पूरी तरह खरा नहीं उतर सकता है. …

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जो ‘कूल’ होते हैं वे हिंदी के नॉवेल नहीं पढ़ते

चेतन भगत इस समय भारत में अंग्रेजी के निस्संदेह सबसे ‘लोकप्रिय’ लेखक हैं. सबसे बिकाऊ भी. जो बोल देते हैं वही चर्चा का सबब बन जाता है. पिछले दिनों उनका एक बयान मुझे भी अच्छा लगा था. उन्होंने इन्फोसिस के नारायणमूर्ति को ‘बॉडीशॉपिंग’ करने वाला करार दिया था. नारायणमूर्ति ने …

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लिखना एक आत्मघाती पेशा है

क्यों लिखता हूँ?… जाने क्यों इस सोच के साथ मुझे मुझे अक्सर नवगीतकार रामचंद्र चंद्रभूषण याद आते हैं. डुमरा कोर्ट, सीतामढ़ी के रामचंद्र प्रसाद जो नवगीतकार रामचंद्र चंद्रभूषण के नाम से नवगीत लिखते थे. जब ‘तार सप्तक की तर्ज़ पर शम्भुनाथ सिंह के संपादन में नवगीतकारों का संकलन ‘नवगीत दशक’ …

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मनोहर श्याम जोशी की परम्परा और उनका विद्रोह

मनोहर श्याम जोशी के जन्मदिन पर प्रस्तुत है यह साक्षात्कार जो सन २००४  में आकाशवाणी के अभिलेखगार के लिए की गई उनकी लंबी बातचीत का अंश है. उसमें उन्होंने अपने जीवन के अनेक अनछुए पहलुओं को लेकर बात की थी। यहां एक अंश प्रस्तुत है जिसमें उन्होंने अपने जीवन और लेखन के …

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एक पुरानी कहानी ‘फ़्रांसिसी रेड वाइन’

मेरी एक पुरानी कहानी- प्रभात रंजन  ========================= चंद्रचूड़जी की दशा मिथिला के उस गरीब ब्राह्मण की तरह हो गई थी जिसके हाथ जमीन में गड़ी स्वर्णमुद्राएं लग गईं। बड़ी समस्या उठ खड़ी हुई। किसी को बताए तो चोर ठहराए जाने का डर न बताए तो सोना मिट्टी एक समान.. कभी-कभी …

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मनोहर श्याम जोशी से एक पुरानी बातचीत

सन 2004 में आकाशवाणी के अभिलेखगार के लिए मैंने मनोहर श्याम जोशी जी का दो घंटे लंबा इंटरव्यू लिया था। उसमें उन्होंने अपने जीवन के अनेक अनछुए पहलुओं को लेकर बात की थी। यहां एक अंश प्रस्तुत है जिसमें उन्होंने अपनी मां, पिताजी को लेकर कुछ बातें की हैं और …

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जे.एम. कोएत्जी का उपन्यास ‘समरटाइम’ और लेखक का जीवन

2009 में जे. एम. कोएत्जी के उपन्यास ‘समरटाइम’ पर लिखा था. लेखक के जीवन की निस्सारता को लेकर एक अच्छा उपन्यास है- प्रभात रंजन ================ स्पेनिश भाषा के कद्दावर लेखक मारियो वर्गास ल्योसा ने अपनी पुस्तक लेटर्स टु ए यंग नॉवेलिस्ट में लिखा है कि सभी भाषाओं में दो तरह …

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‘लाइटर’ जो मेरी कहानी है! (जानकी पुल की पहली पोस्ट)

जानकी पुल की  यह  पहली पोस्ट है. मेरी अपनी कहानी, जो ‘नया ज्ञानोदय’ में प्रकाशित हुई थी- प्रभात रंजन लाइटर   उस दिन के बाद सब उसे बबलू लाइटर के नाम से बुलाने लगे। नाम तो उसका बबलू सिंह था। जबसे वह राधाकृष्ण गोयनका महाविद्यालय में पढ़ने आया था तबसे …

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