हिंदी में किशोरों के जीवन, उनकी शिक्षा, उससे जुड़े तनावों को लेकर कम कहानी लिखी गई है. प्रबुद्ध जैन की यह कहानी उसी तरह की है- मॉडरेटर =============================== बात साल 2007 की है। अंशुल फ़िफ़्थ में रहा होगा। मां–बाप यानी किशोर और नम्रता बेटे का हाथ थामे ‘तारे ज़मीं पर‘ …
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