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Tag Archives: pramod ranjan

हिंदी साहित्य और हिंदी के डॉक्टर: प्रमोद रंजन

प्रमोद रंजन का यह लेख एक साहित्योत्सव के पोस्टर से शुरु होकर सृजनशीलता और मौलिकता क्या है, जैसे बड़े सवालों को उठाता है। प्राध्यापकों की कुंठा और रीढ़विहीनता की भी इसमें अच्छी खबर ली गई है। पढ़िए– ======================== हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में एक साहित्य उत्सव हो रहा है। उसका पोस्टर …

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राजकमल प्रकाशन समूह की टॉप-सेलर लिस्ट और साहित्य

फरवरी, 2024 में हिंदी के सबसे बड़े प्रकाशक राजकमल प्रकाशन समूह ने पिछले 10 साल में प्रकाशित टॉप सेलर किताबों की सूची जारी की। सूची में 21 किताबें हैं। इन किताबों पर नजर डाल कर हम हिंदी प्रकाशन व्यवसाय और पाठकीयता की प्रकृति  को समझने की कोशिश कर  सकते हैं। …

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कंडोम और समलैंगिकता से आविष्‍ट आर्यपुत्र

वरिष्ठ कवि अष्टभुजा शुक्ल की कविताओं को पढकर यह लेख लिखा है युवा लेखक प्रमोद रंजन ने। प्रमोद रंजन की दिलचस्पी सबाल्टर्न अध्ययन और तकनीक के समाजशास्त्र में है। संप्रति, असम विश्वविद्यालय के रवीन्द्रनाथ टैगोर स्कूल ऑफ़ लैंग्वेज एंड कल्चरल स्टडीज़ में सहायक प्रोफ़ेसर हैं-  =========================   अष्टभुजा शुक्ल की …

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विपाशा का कविता अंक: हिमाचल के साहित्यिक इतिहास की झलक

  हिमाचल प्रदेश के भाषा एवं संस्कृति विभाग की पत्रिका विपाशा का ताजा अंक  (अप्रैल – अगस्त 2022) हिमाचल की हिंदी कविता पर केंद्रित है। अजेय द्वारा संपादित इस अंक को पढ़कर उसके ऊपर टिप्पणी की है युवा लेखक प्रमोद रंजन ने। आप भी पढ़ सकते हैं-  ====================== हिमाचल प्रदेश …

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‘दोआबा’ का अहिल्या आख्यान और साहित्य की कसौटी

पटना से प्रकाशित दोआबा का ताजा अंक (जनवरी-मार्च, 2022)  लगभग 600 पन्नों का है। इनमें से 533 पन्नों में नीलम नील की दो ‘कथा-डायरी’ प्रकाशित हैं, जिनके शीर्षक क्रमश: ‘आंगन में आग’ और ‘अहिल्या आख्यान’ हैं। शेष पृष्ठों पर उन्हीं पर केंद्रित संपादकीय, संस्मरण आदि हैं। साहित्य की पहचान यह …

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