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जानकी पुल शशिभूषण द्विवेदी सम्मान ‘सगबग मन’ को

जानकी पुल शशिभूषण द्विवेदी सम्मान के बारे में कुछ महीने पहले घोषणा की गई थी। हर साल यह पुरस्कार कथा साहित्य के क्षेत्र में किसी एक कृति पर प्रदान किया जाएगा। हमने अपने निर्णायकों के साथ इसके नियम क़ायदों के बारे में सोच विचार कर यह तय पाया कि पहले …

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कितनी सारी देवियां, कितनी सारी स्त्रियां, कितनी सारी कथाएं

भारत में देवी के मिथक को समझने के लिहाज से, देवी के अलग रूपों को समझने के लिहाज से देवदत्त पट्टनायक की पुस्तक ‘भारत में देवी अनंत नारीत्व के पांच स्वरूप’ बहुत उपयोगी है. मूल अंग्रेजी में लिखी गई इस किताब के हिंदी अनुवाद की बहुत अच्छी समीक्षा जाने-माने लेखक प्रियदर्शन …

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ज़िन्दगी लाइव: फंतासी झूठ नहीं, संभावना है!

किताबों के बाजार की सबसे बड़ी ब्यूटी यह होती है कि जिस किताब को लेखक-प्रकाशक चलाना चाहता है वह अक्सर नहीं चल पाती है लेकिन जिसे वह साधारण समझता है वह असाधारण रूप से पाठकों के बीच छा जाती है. प्रियदर्शन के पहले उपन्यास ‘ज़िंदगी लाइव’ के साथ यही हुआ. …

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‘बारिश, धुआँ और दोस्त’ की कहानियां

इस साल मेरे समकालीनों, वरिष्ठों के कई कथा-संकलन आये लेकिन जो संग्रह मेरे दिल के सबसे करीब है वह प्रियदर्शन का ‘बारिश, धुआँ और दोस्त‘. प्रियदर्शन की कहानियों में समकालीन जीवन की जद्दोजहद जितनी विविधता के साथ आती है वह किसी और लेखक में कम ही दिखाई देती है. हैरानी …

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प्रियदर्शन की कहानी ‘बारिश, धुआँ और दोस्त’

बरसों बाद प्रियदर्शन का दूसरा कहानी संग्रह आया है ‘बारिश, धुआँ और दोस्त’. कल उसका लोकार्पण था. उस संग्रह की शीर्षक कहानी. तेज भागती जिंदगी में छोटे छोटे रिश्तों की अहमियत की यह कहानी मन में कहीं ठहर जाती है. पढियेगा और ताकीद कीजियेगा- मॉडरेटर  ======================================================== वह कांप रही है। बारिश …

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शैलप्रिया से नीलेश रघुवंशी तक

पिछले इतवार को रांची में शैलप्रिया स्मृति सम्मान का आयोजन हुआ था. इस आयोजन पर कल बहुत अच्छी रपट हमने प्रस्तुत की थी, कलावंती जी ने लिखा था. आज उस आयोजन के मौके पर ‘समकालीन महिला लेखन का बदलता परिदृश्य’ विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया इस गोष्ठी …

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लड़कियां तरह-तरह से बचाए रखती हैं अपना प्रेम

‘लव जेहाद’ के बहाने ये कविताएं लिखी जरूर गई हैं मगर ये प्रेम की कवितायेँ हैं, उस प्रेम की जिसके लिए भक्त कवि ‘शीश उतार कर भूईं धरि’ की बात कह गए हैं. ये कवितायेँ प्रासंगिक भी हैं और शाश्वत भी. प्रियदर्शन की कविताई की यह खासियत है कि वे …

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कौन उनके लिए उपयोगी है, कौन उनका ‘लेखक’ है?

नई सरकार के आने के बाद ‘जनसत्ता’ में श्री उदयन वाजपेयी ने एक लिखा संस्कृति पर, जिसको लेकर एक लम्बी बहस चली. उस बहस का समापन प्रियदर्शन के इस लेख से हुआ- मॉडरेटर ===================================================== उदयन वाजपेयी को मैं इतना नहीं जानता कि उनके चरित्र के बारे में टिप्पणी कर सकूं। …

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वह उजली मीनार अब बस हमारी स्मृतियों में रह गई है

आर. अनुराधा की जिजीविषा, उनके जीवन संघर्ष को बड़ी आत्मीयता के साथ याद किया है प्रियदर्शन ने. आज ‘जनसत्ता’ में आया है. साझा कर रहा हूँ- मॉडरेटर ==================================== बिखर गया वह इंद्रधनुष वे 18 साल से मृत्यु की छाया से जूझ रही थीं। या कहना चाहिए, मृत्यु की छाया उनसे 18 …

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उसने यथार्थ को जादुई बना दिया

स्पैनिश भाषा के महान लेखक गैब्रिएल गार्सिया मार्केज़ के मरने के बाद हिंदी में कई बहुत अच्छे लेख लिखे गए, उनके ऊपर कई पत्रिकाओं के अंक उनके ऊपर निकल रहे हैं. यही उनकी व्याप्ति थी, है. कुछ बहुत अच्छे लेखों में मुझे कवि, कथाकार, पत्रकार प्रियदर्शन का यह लेख भी …

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