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Tag Archives: priyadarshan

हिंदी के गौरव का सवाल गौरव सोलंकी के सवाल से कहीं ज़्यादा बड़ा है

ज्ञानपीठ-गौरव प्रकरण ने हिंदी के कुछ बुनियादी संकटों की ओर इशारा किया है. लेखक-प्रकाशक संबंध, लेखकों की गरिमा, पुरस्कार की महिमा को लेकर कई लेख लिखे गए. आज प्रसिद्ध कवि-लेखक-पत्रकार प्रियदर्शन का यह लेख इस पूरे प्रकरण को व्यापक परिदृश्य में देखे जाने का आग्रह करता है- जानकी पुल. ——————————————————————————- …

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उन्होंने कुछ बताया और कुछ बनाया

हाल में ही डॉ. दिनेश्वर प्रसाद  का निधन हो गया. यह नाम हो सकता है हिंदी की दुनिया का उतना जाना-माना नाम न रहा हो, किसी सत्ता-प्रतिष्ठान से न जुड़ा हो. लेकिन वे सच्चे हिंदी सेवी और एक ईमानदार प्राध्यापक थे. वे हिंदी के सत्ता-खोजी संसार में कुछ पाने नहीं …

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सफल लोगों के बारे में एक असफल आदमी की कविता

आज प्रियदर्शन की कविताएँ कुछ बदले हुए रंग, एक नए मुहावरे में. आख्यान के ढांचे में, कुछ गद्यात्मक लहजे में, लेकिन सहज काव्यात्मकता के साथ- जानकी पुल. —————————————– सफल लोगों के बारे में एक असफल आदमी की कविता मेरे आसपास कई सफल लोग हैं अपनी शोहरत के गुमान में डूबे …

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यातनाएं वैसी ही हैं जैसी थीं

कविता की मोजार्ट कही जाने वाली विश्वावा शिम्बोर्स्का का 89 साल की उम्र में निधन हो गया. पोलैंड की इस कवयित्री को नोबेल पुरस्कार भी मिला था. हिंदी में भी उनकी कविताओं के खासे प्रसंशक थे. अनेक कवियों-लेखकों ने उनकी कविताओं के अनुवाद किए. आज हम उनकी पांच कविताएँ प्रस्तुत …

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उन प्रथम, सुकुमार दिनों का वह उजला अनुभव

प्रसिद्ध पत्रकार प्रियदर्शन को हिंदी की की साहित्यिक दुनिया कवि-कथाकार के रूप में जानती-पहचानती है. समकालीन पीढ़ी के रचनाकारों में अपने नए मुहावरे से उन्होंने एक अलग पहचान बनाई है. अनुभव के सघन बिम्ब और सजग वैचारिकता निजी से लगते पाठ को भी सार्वजनिक बना देता है. मैं यहाँ उनकी …

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प्रेम बचा रहता है थोड़ा सा पानी बनकर

प्रियदर्शन की कविताओं में किसी विराट का प्रपंच नहीं है, उनमें छोटे-छोटे जीवनानुभव हैं, उसकी जद्दोजहद है, बेचैनी है. इसीलिए वह अपने करीब महसूस होती है. उनका अपना काव्य-मुहावरा है जो चिंतन की ठोस ज़मीन पर खड़ा है. प्रस्तुत है उनकी कविताएँ- जानकी पुल.  1. तोड़ना और बनाना बनाने में …

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