परसों की ही तो बात है. राजकमल प्रकाशन का स्थापना दिवस समारोह था, उसमें भालचंद्र नेमाड़े को हिंदी में भारतीय संस्कृति की बहुवचनीयता पर बोलते हुए सुना तो मुझे पुरुषोत्तम अग्रवाल की कहानी ‘नाकोहस’ याद आई. अकारण नहीं था. मृदुला गर्ग ने उस कहानी के अपने दूसरे पाठ के बाद …
Read More »वोल्गा इलाके में भारतीय बस्ती थी
इन दिनों प्रसिद्ध लेखक पुरुषोत्तम अग्रवाल की पुस्तक ‘हिंदी सराय- अस्त्राखान वाया येरेवान’ की बड़ी चर्चा है. उसका एक दिलचस्प अंश आज ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में छपा है. आपके लिए- जानकी पुल. === === अस्त्राखान वोल्गा के डेल्टा में तो बसा ही है, शहर का एक इलाका तो कहलाता ही वोल्गा …
Read More »पुरुषोत्तम अग्रवाल की कहानी ‘चेंग-चुई’
‘प्रगतिशील वसुधा’ के नए अंक में पुरुषोत्तम अग्रवाल की कहानी प्रकाशित हुई है. मूलतः आलोचक पुरुषोत्तम जी ने कविताएँ भी लिखी हैं. भाषा के धनी इस लेखक की यह कहानी मुझे इतनी पसंद आई कि पढते ही आपसे साझा करने का मन हो आया- प्रभात रंजन ============================== ‘यह मकबरा सा …
Read More »क्योंकि हमें डर लगता है, स्वाधीनता से…
अज्ञेय की जन्मशताब्दी वर्ष में आज उनकी कविता पर प्रसिद्ध आलोचक पुरुषोत्तम अग्रवाल का लेख. यह लेख उन्होंने अज्ञेय पर सम्पादित एक पुस्तक के लिए लिखा था. आज के सन्दर्भों में इस लेख की प्रासंगिकता कुछ और बढ़ गई है.——————————————————————————- ‘वे तो फिर आयेंगे’ क्योंकि हमें डर लगता है, स्वाधीनता …
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