राजेश कुमार व्यास के यात्रा-संस्मरण पुस्तक ‘आँख भर उमंग’ पर यह टिप्पणी लिखी है युवा लेखक-कवि चन्द्रकुमार ने- =================== जीवन-यापन के लिए रोटी-कपड़ा-मकान का समुच्चय निस्संदेह सर्वाधिक ज़रूरी है लेकिन जीवन ‘जीने’ के लिए इससे कुछ अलग की अभिलाषा भी होती है। कुछ ऐसी वृत्ति या वृत्तियाँ जो हमारे अन्तर्मन …
Read More »कला-राग की आभा: रस निरंजन
राजेश कुमार व्यास की किताब ‘रस निरंजन’ समकालीन कला पर लिखे निबंधों का संग्रह है। इस किताब पर यह विस्तृत टिप्पणी लिखी है चंद्र कुमार ने। चंद्र कुमार ने कॉर्नेल विश्वविद्यालय, न्यूयार्क से पढ़ाई की। वे आजकल एक निजी साफ्टवेयर कंपनी में निदेशक है लेकिन उनका पहला प्यार सम-सामयिक विषयों …
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