Home / Tag Archives: rajkishor

Tag Archives: rajkishor

राजकिशोर का लेख ‘मरने की उम्र’

जबसे होश संभाला राजकिशोर जी को पढता रहा. सबसे पहले उस जमाने की सबसे ‘टेस्टी’ पत्रिका ‘रविवार’ में और जैसे जैसे उम्र बढती गई उनको हर कहीं पढता रहा. मुजफ्फरपुर से दिल्ली तक मैंने एक से एक लिक्खाड़ लेखकों को करीब से जाना लेकिन राजकिशोर जी जैसा पुख्ता वैचारिक लिक्खाड़ …

Read More »

तरह–तरह के लेखक तरह-तरह के पाठक

लेखक पाठक रिश्ते को लेकर आज राजकिशोर जी का लेख- मॉडरेटर  ============================================ लेखक और पाठक का रिश्ता उतना सपाट नहीं होता है जितना उत्पादक और उपभोक्ता का। उत्पादक अपने मानसिक आनंद के लिए उत्पादन नहीं करता। उसका लक्ष्य उपभोक्ताओं की किसी आवश्यकता को संतुष्ट कर धन कमाना होता है। कुछ …

Read More »

सुनील ने संन्यासी सा जीवन जिया

समाजवादी जन परिषद् के महामंत्री सुनील का महज 54 साल की आयु में निधन हो गया. जेएनयू से अर्थशास्त्र की डिग्री लेने के बाद उन्होंने मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के गाँवों में किसानों के बीच काम करने को प्राथमिकता दी. उनको श्रद्धांजलि देते हुए वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर ने यह लेख …

Read More »

कोश कोश कितने कोस!

वर्धा कोश पर ‘जनसत्ता’ में एक लम्बी बहस चली. कुछ हद तक सार्थक भी रही. वैसे मेरा विचार यह है कि हिंदी के विद्वानों को मिलकर यह प्रयास करना चाहिए कि विशेषज्ञों के माध्यम से हिंदी के कोशों को अद्यतन बनाए जाने का काम हो. भाषा आगे बढती जा रही …

Read More »

कलाकार और बलात्कार

आज वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर ने जनसत्ता में तरुण तेजपाल प्रकरण के बहाने लेख लिखा है. उनके तर्क गौर करने लायक हैं- जानकी पुल.  =============================== तरुण तेजपाल को मैं कलाकार मानता हूँ – अभिधा और व्यंजना, दोनों स्तरों पर।  व्यंग्यार्थ को छोड़िए, क्योंकि इस अर्थ में बहुत-से लोग आ जाएँगे – …

Read More »

फेसबुक पर फेस को नहीं, बुक को प्राथमिकता मिलनी चाहिए

वरिष्ठ लेखक-पत्रकार राजकिशोर वाद-विवाद बनाए रहते हैं. अब आभासी दुनिया को लेकर लिखा गया उनका यह लेख ही ले लीजिये. बहरहाल, यह तो तय है कि सारे वाद-विवाद के बावजूद वे संवाद बनाए रखते हैं. आभासी दुनिया के मित्रों के नाम उनका यह लेख- जानकी पुल. ======================================================= मैं यह दावा …

Read More »

प्रेमचंद कम्युनिस्ट उसूलों की बात नहीं कर रहे थे

आज ‘जनसत्ता’ में वरिष्ठ पत्रकार, http://www.hindisamay.com के संपादक राजकिशोर का लेख छपा है ‘प्रेमचंद के मित्र’. पढ़ा आपने?  राजकिशोर जब लिखते हैं बहसतलब लिखते हैं- जानकी पुल.  ======================================================   मैं समझता था कि प्रेमचंद इतने अच्छे लेखक हैं कि उन पर बहस नहीं हो सकती। वे हिंदी कथा साहित्य के मनु हैं। …

Read More »

यह (उनकी) पोर्नोग्राफी नहीं, (आप की) गुंडागर्दी है

अनामिका और पवन करण की कविताओं पर ‘कथादेश’ में शालिनी माथुर के लेख के प्रकाशन के बाद उन कविताओं के कई पाठ सामने आए. आज वरिष्ठ लेखक-पत्रकार राजकिशोर का यह लेख- जानकी पुल. =============================================================== स्तनों पर लिखना बहुत मुश्किल है। स्तनों पर कुछ लिखा गया हो, तो उस पर  विचार …

Read More »

अज्ञेय और शीत युद्ध

अज्ञेय जन्मशती पर देश भर में अज्ञेय को आदर से याद किया गया. अज्ञेय के विरुद्ध लम्बी जंग छेड़ने वाले साम्यवादी आलोचक भी अज्ञेय की महानता के गुण गाते देखे गए. मूर्धन्य आलोचक  नामवर सिंह ने नेशनल बुक ट्रस्ट के जरिये अज्ञेय की प्रमुख कविताओं का चयन प्रस्तुत किया और …

Read More »

प्रेम भी बला है और प्रेम के बारे में बोलना भी बला

राजकिशोर इस बार सुनंदा की डायरी के साथ उपस्थित हैं- यह मेरी रचना नहीं, सुनंदा की डायरी है । पिछले साल छुट्टी बिताने के लिए मैं परिवार सहित नैनीताल गया हुआ था। वहाँ के एक गेस्ट हाउस के जिस कमरे में हम ठहरे थे, उसी की कपड़ों की आलमारी के …

Read More »