राकेश श्रीमाल की कविताएँ ‘हिय आँखिन प्रेम की पीर तकी’ के मुहावरे में होती हैं. कोमल शब्द, कोमल भावनाएं, जीवन-प्रसंग- सब मिलकर कविता का एक ऐसा संसार रचते हैं जहाँ ‘एक अकेला ईश्वर’ भी बेबस हो जाता है. उनकी कुछ नई कविताओं को पढते हैं- जानकी पुल. एक अकेला ईश्वर …
Read More »थोडी हकलाहट थोडी सी बेबाकी
आज राकेश श्रीमाल की कविताएँ. संवेदनहीन होते जाते समय में उनकी कविताओं की सूक्ष्म संवेदनाएं हमें अपने आश्वस्त करती हैं कि अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है. राकेश श्रीमाल मध्यप्रदेश कला परिषद की मासिक पत्रिका ‘कलावार्ता’ के संपादक, कला सम्पदा एवं वैचारिकी ‘क’ के संस्थापक मानद संपादक के अलावा …
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