रामचंद्र गुहा के इस लेख का अनुवाद ‘हंस’ के नए अंक में प्रकाशित हुआ है। अनुवाद मैंने किया है- प्रभात रंजन ================================= कई साल पहले जब मैं नेहरू स्मृति संग्रहालय एवं पुस्तकालय में काम कर रहा था तो मुझे किसी अज्ञात तमिल व्यक्ति का पोस्टकार्ड मिला जो उसने महान भारतीय …
Read More »रामचंद्र गुहा की पुस्तक ’गांधी: द इयर्स दैट चेंज्ड द वर्ल्ड’ की समीक्षा
हिंदी में पुस्तकों की अच्छी समीक्षाएं कम पढने को मिलती हैं. रामचंद्र गुहा द्वारा लिखी महात्मा गांधी की जीवनी के दूसरे और अंतिम भाग,’गांधी: द इयर्स दैट चेंज्ड द वर्ल्ड’ की यह विस्तृत समीक्षा जाने माने पत्रकार-लेखक आशुतोष भारद्वाज ने लिखी है. कुछ समय पहले ‘दैनिक जागरण’ में प्रकाशित हुई थी. …
Read More »महात्मा गांधी और कॉपीराइट का सवाल
रामचंद्र गुहा ऐसे ऐसे विषयों पर लिखते हैं जिनको पढना रुचिकर भी लगता है और बहुत अच्छी जानकारी भी मिलती है. उनका यह लेख आज ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित हुआ है. महात्मा गांधी और कॉपीराइट विषय पर. साभार प्रस्तुत है- मॉडरेटर ================================= आर ई हॉकिंस ऐसे अंग्रेज थे, जिन्हें ज्यादा …
Read More »हैबरमास देशभक्त हैं, लेकिन अंध-राष्ट्रवादी नहीं
प्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक युर्गन हेबरमास की जीवनी के बहाने उनकी चिंतन दृष्टि पर आज सुबह रामचंद्र गुहा का एक अच्छा लेख ‘दैनिक हिंदुस्तान’ में पढ़ा। हिन्दी अखबारों में इस तरह के बौद्धिक लेख कम ही आते हैं। पढ़ते ही साझा कर रहा हूँ- मॉडरेटर ============== एडवर्ड सईद हमारी पीढ़ी के …
Read More »क्रिकेट खेल, धर्म और राजनीति का सम्मिश्रण था
आजादी से पहले के दौर में अंग्रेजों ने किस तरह क्रिकेट के खेल का राजनीतिक इस्तेमाल किया इसको समझने के लिए रामचंद्र गुहा की किताब ‘विदेशी खेल अपने मैदान पर’ पढने लायक है. उसी का एक सम्पादित अंश क्रिकेट और साम्प्रदायिकता को लेकर- मॉडरेटर ========================================= बंबई का वार्षिक क्रिकेट उत्सव, युद्ध …
Read More »उन्होंने कर्नाटक के कस्बों से मालगुड़ी का निर्माण किया
मैसूर में अंग्रेजी के प्रमुख लेखक आर.के. नारायण के घर को स्मारक बनाने का निर्णय हुआ तो कन्नड़ के अनेक प्रमुख लेखकों ने उसका विरोध करना शुरु कर दिया. उनका कहना है कि आर. के. नारायण अंग्रेजी के लेखक थे कन्नड़ के नहीं, इसलिए कर्नाटक में उनका स्मारक नहीं बनना …
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