रश्मिरेखा जी के निधन के समाचार से स्तब्ध हूँ। जिन दिनों मैं कोठागोई लिख रहा था उनसे ख़ूब बातें होती थीं। मुज़फ़्फ़रपुर की तवायफ़ परम्परा के कई क़िस्से उन्होंने सुनाए थे। मुज़फ़्फ़रपुर जाने पर उनके यहाँ ज़रूर जाता था। बहुत अच्छी कविताएँ लिखती थीं। आज उनकी कुछ कविताओं के साथ …
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