संजय कुंदन मेरी पीढ़ी के ऐसे कवियों में हैं जो शोर शराबे से दूर रहकर कवि कर्म कर रहे हैं। मध्यवर्गीय जीवन के रोएँ रेशे जिस तरह से उनकी कविताओं में उघड़ते हैं उस तरह से कम कवियों में दिखाई देता है। अभी हाल में ही उनका नया कविता संग्रह …
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