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Tag Archives: sarang upadhyay

गद्य की गहन ऐंद्रिकता में किसी इंटीमेट पेंटिंग की तरह डूबी कृति

इस साल जिस उपन्यास ने अपनी भाषा, अपनी कहन से मुझे बेहद प्रभावित किया वह सारंग उपाध्याय का उपन्यास ‘सलाम बॉम्बे व्हाया वर्सोवा डोंगरी’ है। क्यों प्रभावित किया डॉ शोभा जैन ने अपनी समीक्षा में तक़रीबन वही बातें लिखी हैं जो मैं सोच रहा था। आपने उपन्यास न पढ़ा हो …

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सारंग उपाध्याय के उपन्यास ‘सलाम बॉम्बे व्हाया वर्सोवा डोंगरी’ का एक अंश

मुंबई को लेकर सारंग उपाध्याय ने कुछ बेजोड़ कहानियाँ लिखी हैं। अभी हाल में ही मुंबई की पृष्ठभूमि पर उनका उपन्यास आया है ‘सलाम बॉम्बे व्हाया वर्सोवा डोंगरी’। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस उपन्यास का अंश पढ़िए- =========================== जब दुनिया रहने लायक होगी…! इस दुनिया में एक जैसा कुछ नहीं …

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कांदुर कड़ाही:  चूल्हे-चौके से बाहर रौशन होती एक दुनिया

नाटककार, अभिनेत्री विभा रानी का उपन्यास आया है ‘कांदुर कड़ाही’। यह हिंदी में अपने ढंग का अनूठा उपन्यास है। कश्मीर और बिहार की दो विस्थापित स्त्रियों की स्मृतियाँ हैं, देश भर की रेसिपी है और अपनापे की एक कहानी। वनिका पब्लिकेशंस से प्रकाशित इस उपन्यास पर सारंग उपाध्याय ने यह …

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  सारंग उपाध्याय की कहानी ‘अकेली मुंबई, अजनबी कोलकाता’ 

सारंग उपाध्याय पेशे से पत्रकार हैं और बहुत संवेदनशील लेखक। हाशिए के लोगों के जीवन के सुख-दुःख को लेकर यह एक मार्मिक कहानी है। आप भी पढ़कर बताइएगा- ============================ बारिश काले बादलों में अब भी अटकी थी. उमस लोगों के चेहरे से टपक रही थी. सुबह के 7 बजे थे. …

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