Home / Tag Archives: saumya baijal

Tag Archives: saumya baijal

सौम्या बैजल की ताज़ा कविताएँ

सौम्या बैजल कवयित्री, रंगमंच की दुनिया से जुडी कलाकार, विज्ञापन की दुनिया में काम करने वाली, एक फेमिनिस्ट, एक्टिविस्ट, लेखिका हैं. कविताओं में वह सब कहने की कोशिश करती हैं, जो कई बार रोज़ की भागम-भाग में आँखों से ओझल रहता है. वह लाडली मीडिया अवार्ड्स में jury भी रह चुकी …

Read More »

सौम्या बैजल की कहानी ‘ख़त’

युवा लेखिका सौम्या बैजल की छोटी छोटी कहानियाँ और कविताएँ हम लोग पढ़ते रहे हैं। इस बार अरसे बाद उनकी कहानी आई है, छोटी सी प्रेम कहानी- मॉडरेटर ======================================= ख़त ‘उस दिन जब तुमसे पहली बार मिली थी, तो यह नहीं सोचा था की इतने करीब हो जाएंगे। और आज …

Read More »

सौम्या बैजल की नई कविताएँ

हिंदी का विस्तार अनेक रूपों में हुआ है. सबसे उत्साहवर्धक बात यह है कि हिंदी में अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों ने लिखना शुरू किया. अलग-अलग पेशों को लोग हिंदी में लिख रहे हैं. जिनको हिंदी में आउटसाइडर समझे जाने वाले लोग आज इनसाइडर माने जा रहे हैं, और उनके लेखन …

Read More »

सौम्या बैजल की कविताएं

सौम्या बैजल की कवितायें-कहानियाँ जानकी पुल पर कुछ वर्षों से समय समय पर आती रही हैं। अच्छा यह लगता है कि उन्होने लगातार अपने लेखन-कौशल को परिष्कृत किया है। इन दो कविताओं को पढ़ते हुए ऐसा महसूस हुआ- ========================================= चोट  देखो छिली खाल, दर्द हुआ? यह लाल पानी, जिसका एक …

Read More »

सौम्या बैजल की कहानी ‘संग-साथ’

सौम्या बैजल युवा लेखिका हैं. बदलते वक्त को कहानियों के माध्यम से समझने-कहने की कोशिश करती हैं. भाषा में भी हिंदी रोमन मिक्स लिखती हैं लेकिन निश्चित रूप से उनके पास कहने के लिए कुछ है और कहने का एक अपना सलीका भी है. जैसे कि यही कहानी देखिये- मॉडरेटर …

Read More »

सौम्या बैजल की कहानी ‘कॉपी’

यह कहानियों का लप्रेक काल है. जीवन में-कहानियों में छोटी-छोटी बातों को महत्व देने का दौर.  युवा लेखिका सौम्या बैजल की इस छोटी कहानी को ही देखिये- मॉडरेटर  ===================================== ‘बेवकूफों जैसी बातें मत करो. तुम जानते हो की मैँ उसे भूल चुकी हूँ‘ , मानसी ने झुंझला कर वरुण से …

Read More »

सौम्या बैजल की कविताएं

हिंदी के मठाधीश कविता की विविधता को सेंसर करते रहे, उसकी आवाजों को एकायामी बनाने की जिद करते रहे. लेकिन आज अच्छी बात यह है कि हिंदी कविता की हर आवाज सक्रिय है, दबावों से मुक्त है. ऐसी ही एक आवाज सौम्या बैजल की भी है, जो हिंदी कविता की …

Read More »

नारंगी देश? या हरा देश? खूनी देश? या शांत?

कविता कई बार हमारी बेचैनियों को, हमारी चिंताओं को भी आवाज देती है. देश-समाज पर चिंता करने की एक शैली. सौम्या बैजल की कविताओं को पढ़ते हुए वही बेचैनी महसूस हुई. मुक्तिबोध की पंक्तियाँ हैं- क्या करूँ/कहाँ जाऊं/ दिल्ली या उज्जैन?  सौम्या बैजल हिंदी और अंग्रेजी दोनों में लेख, कवितायेँ और …

Read More »