सुधीश पचौरी का यह लेख बहुत पुराना है लेकिन आज भी प्रासंगिक है. सन्दर्भ है अंग्रेजी के जाने माने लेखक द्वारा हनुमान चालीसा का अनुवाद- मॉडरेटर ===================== “एक अपनी हिंदी है, जो इतनी सेकुलर हो चली है कि अगर आज कोई हिंदी वाला ‘हनुमान’ का नाम लेता, तो कम्युनल कहलाता। …
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