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आमाके… दाओ! आमाके…दाओ: शरतचंद्र और ‘आवारा मसीहा’

‘आवारा मसीहा’ शरतचंद्र की जीवनी है। विष्णु प्रभाकर की बरसों की तपस्या का परिणाम। इस यादगार किताब पर एक पठनीय टिप्पणी लिखी है लेखिका निधि अग्रवाल ने। आप भी पढ़िए- ====================== आमाके… दाओ! आमाके…दाओ! डॉ. निधि अग्रवाल कहते हैं जब रवींद्रनाथ ठाकुर ने शरतचन्द्र से कहा था-  “तुम अपनी आत्मकथा …

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लापरवाह, चरित्रहीन, आवारा, मसीहा : आखिर तुम कौन हो शरत!

शरतचंद्र की जयंती पर देवेंद्र शर्मा का यह गद्य पढ़ा तो साझा करने से रोक नहीं पाया- मॉडरेटर —————————————————————– अब, जबकि तुमसे मिले बरसों बीत गए हैं और तुम्हारे होने का मेरे होने पर प्रभाव स्पष्ट रूप से मुझे और औरों को दिखने लगा है तो आज तुम्हारे जन्मदिन पर …

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सत्य और गल्प की गोधूलि का लेखक शरतचन्द्र

कई साल पहले प्रकाश के रे जी के कहने पर महान लेखक शरतचन्द्र पर यह लेख लिखा था।आज उनकी जयंती पर याद आ गया- प्रभात रंजन ======================================== शरतचन्द्र जिस दौर में लिख रहे थे तब साहित्य, राजनीति हर तरफ सुधार, उद्धार, आदर्शों की चर्चा रहती थी. उसी युग में शरतचंद्र …

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शरतचन्द्र, श्रीकांत और चतुर्भुज स्थान, मुजफ्फरपुर

शरतचन्द्र पहली बार मुजफ्फरपुर 1902 में गये थे. तब लेखक के रूप में उनकी प्रसिद्धि नहीं हुई थी. हालाँकि उन्होंने लिखना शुरू कर दिया था. विष्णु प्रभाकर ने ‘आवारा मसीहा’ में इस सम्बन्ध में विस्तार से लिखा है कि वे वहां किस तरह से महादेव साहू, बंगाल लेखिका अनुरूपा देवी …

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