आशा प्रभात मेरे गृह नगर सीतामढ़ी में रहती हैं और अपने लेखन से उन्होंने बड़ी पहचान बनाई है। सीता पर उनका उपन्यास ‘जनकनंदिनी’ हो या ‘साहिर समग्र’ का संपादन आशा जी के लेखन-संपादन से हिंदी समाज अच्छी तरह परिचित है,उर्मिला पर उनका उपन्यास जल्द ही आने वाला है उनसे बातचीत …
Read More »सीता होना इतना आसान भी नहीं होता
कल जानकी जयंती मेरे शहर में दीवाली की तरह मनाई गई. पहले इतने आयोजन नहीं होते थे लेकिन इस बार खूब हुए. लेकिन कल सीता जयंती पर सबसे अच्छा यह पढ़ना लगा. राजीव कटारा जी ने लिखा है. वे ‘कादम्बिनी’ के संपादक हैं और अपने ढंग के अकेले लेखक हैं. …
Read More »सीता सही मायने में धरती पुत्री थीं
सुबह मैंने सीता जयंती के मौके पर देवदत्त पट्टनायक की किताब ‘सीता के पांच निर्णय’ का एक प्रसंग साझा किया था. बाद में ध्यान आया कि देवदत्त पट्टनायक की एक और किताब है ‘सीता’ जिसका अनुवाद जानी मानी अनुवादिका रचना भोला यामिनी ने किये है. मंजुल प्रकाशन से आई इस …
Read More »सवाल सीता की मुक्ति का नहीं सीता से मुक्ति का है?
23 अप्रैल को दिल्ली के मुक्तांगन में ‘एक थी सीता’ विषय पर बहुत अच्छी चर्चा हुई. उसकी एक ईमानदार रपट लिखी है जेएनयू में कोरियन विभाग की शोध छात्रा रोहिणी कुमारी ने- मॉडरेटर ==================================== मुक्ताँगन : नाम में ही अपनापन है और जो लोग इसका आयोजन करते हैं वे इस …
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