सुदीप्ति कम लिखती हैं लेकिन इतने अपनेपन के साथ गद्य का उपयोग कम ही लेखक करते होंगे. अब देखिये न गर्मी की छुट्टियों का मौसम चल रहा है और उनके आत्मीय संस्मरण को पढ़कर मैं भी अपने गाँव-घर पहुँच गया-अपनी बहनों, बुआओं, मौसियों और नानी के पास- प्रभात रंजन. ========================================== …
Read More »