पिछले साल उर्दू में एक किताब छपी थी। नाम है- रोहज़िन, जो रहमान अब्बास का लेटेस्ट नॉवेल है। ग़ौर करने लायक बात ये है कि छपने से लेकर आज तक इस किताब ने उर्दू की गलियों में धूम मचा रखी है। किताब से गुज़रते हुए कई बातें ख़याल में आती …
Read More »औरतों की संगीतमय दुनिया ‘समरथ’
हुआ यूँ कि जानी मानी थिएटर आर्टिस्ट/लेखिका विभा रानी ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हुईं और अपनी मजबूत जिजीविषा के कारण इस बीमारी से उबर भी गईं। लेकिन बीमारी के दौरान वो अपने मन की बात काग़ज़ों पर दर्ज़ करती रहीं। वो बातें, एक कविता संग्रह के रूप में प्रकाशित हुई …
Read More »जहाँ फ़नकार को हर तरह की आज़ादी हो जहाँ हर एक को हासिल ख़ुशी बुनियादी हो
दिल्ली विश्वविद्यालय में विचारधाराओं की जंग के कारण माहौल बिगड़ रहा है, दूषित होता जा रहा है. इस माहौल में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र त्रिपुरारि ने एक नज़्म लिखी है- मुल्क– मॉडरेटर ==================================== हम ऐसे मुल्क में पैदा हुए हैं, ऐ लोगों जहाँ ईमान की क़ीमत लगाई जाती है …
Read More »हमारा प्रेम सिलवटों में कहीं निढाल पड़ा है
इला जोशी की कविताएँ पढ़ते हुए यूँ महसूस होता है, जैसे किसी परिंदे को इस शर्त पर रिहाई मिले कि उसके पंख काट दिए जाएँगे। इन कविताओं में एक अजीब क़िस्म की बेचैनी दफ़्न है, जिसे किसी पवित्र स्पर्श की प्रतीक्षा भी है और उस स्पर्श से छिल जाने का …
Read More »‘ग्लोबलाइजेशन’ पुस्तकों की देन है – चित्रा मुद्गल
कल से 20वां नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला शुरू होने जा रहा है। जीवन में पुस्तकों के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। इसी बात को ध्यान में रखते हुए “पुस्तक-लेखन-शिक्षा-साहित्य-पुरस्कार” आदि विषयों पर चित्रा मुद्गल जी ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। पुस्तक मेले में उनकी नई पुस्तकों के …
Read More »तुझसे मैं मिलता रहूँगा ख़्वाब में
कल हरदिल अज़ीज़ शायर शहरयार का इंतकाल हो गया. उनकी स्मृति को प्रणाम. प्रस्तुत है उनसे बातचीत पर आधारित यह लेख, जो अभी तक अप्रकाशित था. त्रिपुरारि की यह बातचीत शहरयार के अंदाज़, उनकी शायरी के कुछ अनजान पहलुओं से हमें रूबरू करवाती है – मॉडरेटर ====================================================== वो सुबह बहुत हसीन …
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