उमेश कुमार सिंह चौहान हिंदी के समर्थ कवि ही नहीं हैं, वे हिंदी के उन दुर्लभ लोगों में हैं जिन्होंने अन्य भारतीय भाषाओं और हिंदी के बीच पुल बनाया है. मलयालम साहित्य की समृद्ध परंपरा का ज्ञान हम हिंदी वालों को अगर थोड़ा बहुत है तो उसमें बहुत बड़ा योगदान …
Read More »बड़ा अजूबा रंग-मंच है, बदला-बदला सबका वेश
हिंदी के वरिष्ठ कवि उमेश चौहान का काव्य संग्रह आया है ‘जनतंत्र का अभिमन्यु’. प्रस्तुत है उसी संग्रह से कुछ चुनी हुई कविताएँ. संग्रह भारतीय ज्ञानपीठ से आया है- जानकी पुल. ==================================================== 1. १. मौन कौन सा संकोच या स्वार्थभय अथवा भ्रमरखता है मौन हमेंअपनी आँखों के सामने …
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