यतीश कुमार की काव्यात्मक समीक्षा शैली से हम सब बखूबी परिचित हैं। आज उन्होंने अपनी शैली में वंदना राग के उपन्यास ‘बिसात पर जुगनू’ की समीक्षा की है। मौका लगे तो पढ़िएगा- =============================== सुना है कि पुराने ज़माने में जुगनुओं को एक डिब्बे में बंद कर उससे रात में …
Read More »वैधानिक गल्प:बिग थिंग्स कम इन स्माल पैकेजेज
चंदन पाण्डेय का उपन्यास ‘वैधानिक गल्प’ जब से प्रकाशित हुआ है इसको समकालीन और वरिष्ठ पीढ़ी के लेखकों ने काफ़ी सराहा है, इसके ऊपर लिखा है। शिल्प और कथ्य दोनों की तारीफ़ हुई है। यह टिप्पणी लिखी है जानी-मानी लेखिका वंदना राग ने- जानकी पुल। ============================ ब्रेकफास्ट ऐट टिफ़नीज़ (Breakfast …
Read More »ज़ेहन रोशन हो तो बाहर के अँधेरे उतना नहीं डराते
गीताश्री के उपन्यास ‘वाया मीडिया’ एक अछूते विषय पर लिखा गया है। इसको पढ़ने वाले इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहते। यह उनके किताब की एक खास समीक्षा है क्योंकि इसे लिखा है वंदना राग ने। वंदना जी मेरी प्रिय लेखिकाओं में हैं और इस साल उनका एक बहुत प्यारा …
Read More »नक्शे, सरहदें, शांति, लघु जीवन और कला की एकरूपता से सजी है ‘बिसात पर जुगनू’
वंदना राग के उपन्यास ‘बिसात पर जुगनू’ पर यह टिप्पणी राजीव कुमार की ने लिखी है। उपन्यास राजकमल से प्रकाशित है- =============== “हम सब इत्तिहाद से बने हैं। हम सबमें एक दूसरे का कोई ना कोई हिस्सा है। इंसान इस सच से रू – ब – रू हो जाए तो …
Read More »इक्कीसवीं सदी के ग्रामीण यूनिवर्स की जातक उर्फ़ जात कथा का आख्यान
वरिष्ठ लेखक हृषीकेश सुलभ के उपन्यास ‘अग्निलीक’ को पढ़ते हुए यह टिप्पणी लिखी है जानी मानी लेखिका वंदना राग ने, हाल में ही जिनका उपन्यास आया है ‘बिसात पर जुगनू’। यह टिप्पणी दो पीढ़ियों का संवाद है – ======= अग्निलीक एक मुख्तलिफ़ सा उपन्यास है। न सिर्फ अपने कलेवर और …
Read More »वंदना राग के उपन्यास ‘बिसात पर जुगनू’ का एक अंश
वंदना राग के उपन्यास ‘बिसात पर जुगनू’ को मैंने पूरा पढ़ लिया है तो आपको कम से कम एक अंश पढ़वाने का फ़र्ज़ तो बनता ही है। अगर राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस उपन्यास का अंश पसंद आए तो कल इस उपन्यास पर आयोजित कार्यक्रम में भी ज़रूर पधारिएगा- प्रभात …
Read More »सवाल सीता की मुक्ति का नहीं सीता से मुक्ति का है?
23 अप्रैल को दिल्ली के मुक्तांगन में ‘एक थी सीता’ विषय पर बहुत अच्छी चर्चा हुई. उसकी एक ईमानदार रपट लिखी है जेएनयू में कोरियन विभाग की शोध छात्रा रोहिणी कुमारी ने- मॉडरेटर ==================================== मुक्ताँगन : नाम में ही अपनापन है और जो लोग इसका आयोजन करते हैं वे इस …
Read More »मन्नू भंडारी का रचना पाठ सुनने का एक दुर्लभ मौका मत चूकिए
‘मुक्तांगन’ का यह तीसरा आयोजन है. दिल्ली के केन्द्रों में आयोजित होने वाले एक से आयोजनों की ऊब को दूर करने के उद्देश्य से बिजवासन के उषा फार्म्स में शुरू किया गया यह आयोजन अपनी स्थायी जगह बनाता जा रहा है. हर महीने इसका इन्तजार रहता है… कि इस बार …
Read More »वंदना राग की ‘रीगल स्टोरी’
रीगल सिनेमा बंद हो गया. हम सबके अंतस में न जाने कितनी यादों के निशाँ मिट गए. इसी सिनेमा हॉल के बाहर हम तीन दिन लाइन में लगे थे ‘माया मेमसाहब’ की टिकट के लिए. तब भी नहीं मिली थी. फिल्म फेस्टिवल चल रहा था. हम डीयू में पढने वालों …
Read More »‘दिल्ली में पैसा है। गांव में कुछ भी नहीं’
कुछ महीने पहले बिहार के सिवान में ‘कथा शिविर’ का आयोजन किया गया था. जिसमें कई पीढ़ियों के लेखकों ने हिस्सा लिया. लेखक-लेखिकाओं ने वहां के जीवन को करीब से देखा और बाद में अपने लेखन में याद किया. यहाँ प्रसिद्ध लेखिका वंदना राग का रागपूर्ण स्मरण, जिसमें हर्ष भी …
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