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Tag Archives: vandana shukla

यह हमारा स्वयं का चुना हुआ भ्रम है

आज वंदना शुक्ल की कविताएँ– जानकी पुल.  (१) भ्रम बहुत ऊँचाइ पे बैठी कोई खिड़की  बुहार देती हैं उन सपनों को जो बिखरते हैं हमारे भीतर झरते हुए पत्तों की तरह बाँहों में ले बहलाती हैं विविध दृश्यों से उन खिलौनों की तरह  जो सच से लगते हैं पर होते …

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आजकल सच और सपने में कोई फर्क ही नहीं लगता!

वंदना शुक्ल की कविताएँ बिना किसी भूमिका के. ये कविताएँ खुद अपनी भूमिका हैं और परिचय भी. गहरी संवेदना की वेदना, जीवन का निचोड़, पढ़ा तो सोचा आपसे भी साझा करूँ- जानकी पुल.  ========================================================= प्रायश्चित जैसा जीना चाहती थी जी नहीं पाई, मै जीने की तैयारी ही करती रही, और …

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सांस जीती हैं देह को जैसे स्वरों में धडकता है संगीत

शास्त्रीय /उप शास्त्रीय संगीत के अंगों में जीवन रहस्य तलाशती वंदना शुक्ल की इन कविताओं की प्रकृति काफी अलग है. इनमें संगीत की आत्मा और मनुष्य के जीवन का संगीत साथ-साथ धड़कता सुनाई देता है. तुमुल कोलाहल कलह में- जानकी पुल.    ———————————————————- अलंकार (गंतव्य की ओर)-  सांस जीती हैं देह …

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क्या नाट्यशास्त्र आज भी प्रासंगिक है?

कवयित्री, नाट्यविद, संगीत-विदुषी वंदना शुक्ल हमेशा कला-साहित्य के अनछुए पहलुओं को लेकर बहुत गहराई से विश्लेषण करती हैं. जिसका बहुत अच्छा उदाहरण है यह लेख- जानकी पुल. —————————————————————————————————–  अभिनय का विस्तृत विवेचन करने वाला विश्व का सबसे प्रथम ग्रन्थ आचार्य भरत मुनि कृत ‘’नाट्य शास्त्र’’ है| भरतमुनि का नाट्यशास्त्र ऐसा ग्रन्थ …

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नारी का मन और उसकी कलम

कवयित्री, संगीतविद वंदना शुक्ला ने स्त्री-लेखन को एक अलग ही नज़रिए से देखा है. मन और कलम के द्वंद्व के रूप में. स्त्री-लेखन के इतिहास पर एक विहंगम दृष्टि. कई महत्वपूर्ण सवाल उठाने वाला एक महत्वपूर्ण लेख- जानकी पुल. नैतिक शिक्षा या नागरिक शास्त्र (सिविक्स) विषय में कुछ वाक्य पढाए …

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